( कहानी हिंदी )
दृढ़ विश्वास की अदभुत कहानी
एक वृद्ध माता को पत्थर मिल गया किसी ने कह दिया कि यह भगवान हैं, वृद्धा ने मान लिया उनका नाम रख दिया गोल मटोल भगवान और उन्हें खिलाए बिना खाए नहीं, भोग लगाये, आरती करे, पूजा करे | अकेले वह और उसके गोल मटोल, ऐसी दृढ़ निष्ठा उसका अंतिम समय आ गया तो भगवान ने अपने दूतों को भेजा कि उसको हमारे धाम ले आओ,
पार्षद लेने के लिए गए बुढ़िया बोली गोल मटोल चले तो मैं चलूं, पार्षद बोले वहां यहां से नहीं जा सकते हैं, आप चलो यहां से वहां- यह मिलेंगे , उस बुडिया ने कहा अरे तो मैं क्या करूं बैकुंठ जाकर मेरा गोल मटोल भगवान तो यहीं है |
भगवान के पार्षदों ने कहा भगवान से जाकर तो भगवान स्वयं आए कहा- मैया चलो बैकुंठ चलें, बुढ़िया बोली--
अरे बाबरे बैकुंठ की बात रह्यो तू बोल,
भीतर मेरो सोय रह्यो है ठाकुर गोल मटोल |
गोल मटोल भगवान चलें तो मैं चलूं ?
ए भक्तों की अद्भुत कथाएं हैं, भगवान ने कहा चलो तुम्हारे लिए नियम चेंज करके तुम्हारे गोल मटोल को भी ले चलते हैं |
दृढ़ विश्वास की अदभुत कहानी
,,, देखो इतना सहज विश्वास या विश्वास का स्थान ही ना हो या फिर इतना विश्वास कि उसके लिए कोई विकल्प ही ना हो | सगुण भगवान के लिए विश्वास, विश्वास का अर्थ है श्वास और वि उपसर्ग लगा है |
अरे बाबरे बैकुंठ की बात रह्यो तू बोल,
भीतर मेरो सोय रह्यो है ठाकुर गोल मटोल |
गोल मटोल भगवान चलें तो मैं चलूं ?
ए भक्तों की अद्भुत कथाएं हैं, भगवान ने कहा चलो तुम्हारे लिए नियम चेंज करके तुम्हारे गोल मटोल को भी ले चलते हैं |
दृढ़ विश्वास की अदभुत कहानी
,,, देखो इतना सहज विश्वास या विश्वास का स्थान ही ना हो या फिर इतना विश्वास कि उसके लिए कोई विकल्प ही ना हो | सगुण भगवान के लिए विश्वास, विश्वास का अर्थ है श्वास और वि उपसर्ग लगा है |
विगतः श्वास, जैसे मुर्दे में श्वास ही नहीं होती, तो विश्वास करना साधारण बात नहीं है यह बड़े-बड़े सूर वीरों का काम है |
जो मुर्दों की तरह होकर विश्वास कर ले और देखो कितनी अद्भुत बात है जो इतना विश्वास कर सके वह भी मुर्दे का काम है और ज्ञान पाकर भवसागर से तरना भी मुर्दे का काम है |
नदी में जब डूबता है तो जिंदा आदमी डूबता है मुर्दा कभी नहीं डूबता, मुर्दा हांथ पाव हिलाता ही नहीं है--
दृढ़ विश्वास की अदभुत कहानी
मस्तराम मुर्दों से बोले हमको कुछ बतलाओगे, मुर्दों में से एक मुर्दा बोला मर जाओ सुख पाओगे,
दृढ़ विश्वास की अदभुत कहानी
मस्तराम मुर्दों से बोले हमको कुछ बतलाओगे, मुर्दों में से एक मुर्दा बोला मर जाओ सुख पाओगे,
अवसर है अनमोल काम कुछ ऐसा कर जा
पाकर गुरु से ज्ञान यार मरने से पहले मर जा अपने घर में बैठ निरंतर नहीं किसी के घर जा सीताराम नाम सुमिरन कर भवसागर से तर जा