विद्या ददाति विनयम श्लोक का अर्थ vidya dadati vinayam meaning in hindi

 विद्या ददाति विनयम श्लोक का अर्थ vidya dadati vinayam meaning in hindi

विद्यां ददाति विनयं, विनयाद् याति पात्रताम्।

पात्रत्वात् धनमाप्नोति,धनात् धर्मं ततः सुखम्॥

विद्या यानि ज्ञान हमें विनम्रता प्रादान करता है, विनम्रता से योग्यता आती है और योग्यता से हमें धन प्राप्त होता है जिससे हम धर्म के कार्य करते हैं और हमे सुख सुख मिलता है|

 विद्या ददाति विनयम श्लोक का अर्थ vidya dadati vinayam meaning in hindi

vidya dadati vinayam  विद्या ददाति विनयम श्लोक का अर्थ

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


सम्पूर्ण भागवत महापुराण कथा bhagwat katha in hindi full book
vidya dadati vinayam  विद्या ददाति विनयम श्लोक का अर्थ

vidya dadati vinayam  विद्या ददाति विनयम श्लोक का अर्थ

 विद्या ददाति विनयम श्लोक का अर्थ vidya dadati vinayam meaning in hindi

यह भी देखें आपके लिए उपयोगी हो सकता है...........

ये सातं बातें मनुष्यको उन्नत करनेवाली हैं-

उत्साहसम्पन्नमदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम् । 
शूरं कृतज्ञं दृढसौहदं च सिद्धिः स्वयं याति निवासहेतोः | । 

उत्साही, अदीर्घसूत्री, क्रियाकी विधिको जाननेवाले, व्यसनोंसे दूर रहनेवाले, शूर, कृतज्ञ तथा स्थिर मित्रतावाले मनुष्यको सिद्धि स्वयं अपने निवासके लिये ढूँढ़ लेती है।' इन सात बातोंका विस्तार इस प्रकार है-

(१) विद्यार्थीमें यह उत्साह होना चाहिये कि मैं विद्याको पढ़ सकता हूँ, क्योंकि उत्साही आदमीके लिये कठिन काम भी सुगम हो जाता है और अनुत्साही आदमीके लिये सुगम काम भी कठिन हो जाता है।

(२) हरेक कामको बड़ी तत्परता और सावधानीके साथ करना चाहिये। थोड़े समयमें होनेवाले काममें अधिक समय नहीं लगाना चाहिये। जो थोड़े समयमें होनेवाले काममें अधिक समय लगा देता है, उसका पतन हो जाता हैं'दीर्घसूत्री विनश्यति' ।

(३) कार्य करनेकी विधिको ठीक तरहसे जानना चाहिये। कौन-सा कार्य किस विधिसे करना चाहिये, इसको जानना चाहिये। शौच-स्नान, खाना-पीना, उठना-बैठना, पाठपूजा आदि कार्योंकी विधिको ठीक तरहसे जानना चाहिये और वैसा ही करना चाहिये ।

(४) व्यसनोंमें आसक्त नहीं होना चाहिये। जूआ खेलना, मदिरापान, मांसभक्षण, वेश्यागमन, शिकार (हत्या) करना, चोरी करना और परस्त्रीगमन – ये सात व्यसन तो घोरातिघोर नरकोंमें ले जानेवाले हैं * । 

इनके सिवाय चाय, काफी, अफीम, बीड़ी-सिगरेट आदि पीना और ताश-चौपड़, खेल-तमाशा, सिनेमा देखना, वृथा बकवाद, वृथा चिन्तन आदि जो भी पारमार्थिक उन्नतिमें और न्याय-युक्त धन आदि कमानेमें बाधक हैं, वे सब-के-सब व्यसन हैं। विद्यार्थीको किसी भी व्यसनके वशीभूत नहीं होना चाहिये।

(५) हरेक काम करनेमें शूरवीरता होनी चाहिये । अपनेमें कभी कायरता नहीं लानी चाहिये ।

(६) जिससे उपकार पाया है, उसका मनमें सदा एहसान मानना चाहिये, उसका आदर-सत्कार करना चाहिये, कभी कृतघ्न नहीं बनना चाहिये।

(७) जिसके साथ मित्रता करे, उसको हर हालत में निभाये ।

यह भी देखें आपके लिए उपयोगी हो सकता है...........

विद्यार्थीक पाँच लक्षण बताये गये हैं

काकचेष्टा बकध्यानं श्वाननिद्रा तथैव च । 
स्वल्पाहारी ब्रह्मचारी विद्यार्थिपञ्चलक्षणम् ।। 

(१) काकचेष्टा-जैसे, कौआ हरेक चेष्टामें सावधान रहता है। वह इतना सावधान रहता है कि उसको जल्दी कोई पकड़ नहीं सकता। ऐसे ही विद्यार्थीको विद्याध्ययनके विषयमें हर समय सावधान रहना चाहिये। विद्याध्ययनके बिना एक क्षण भी निरर्थक नहीं जाना चाहिये।

(२) बकध्यान-जैसे, बगुला पानीमें धीरेसे पैर रखकर चलता है, पर उसका ध्यान मछलीकी तरफ ही रहता है। ऐसे ही विद्यार्थीको खाना-पीना आदि सब क्रियाएँ करते हुए भी अपना ध्यान, दृष्टि विद्याध्ययनकी तरफ ही रखनी चाहिये ।

(३) श्वाननिद्रा-जैसे, कुत्ता निश्चिन्त होकर नहीं सोता। वह थोड़ी-सी नींद लेकर फिर जग जाता है । ऐसे ही विद्यार्थीको आरामकी दृष्टिसे निश्चिन्त होकर नहीं सोना चाहिये, प्रत्युत केवल स्वास्थ्यकी दृष्टिसे थोड़ा सोना चाहिये।

(४) स्वल्पाहारी - विद्यार्थीको उतना ही आहार करना चाहिये, जिससे आलस्य न आये, पेट याद न आये; क्योंकि पेट दो कारणोंसे याद आता है- अधिक खानेपर और बहुत कम खानेपर ।

(५) ब्रह्मचारी - विद्यार्थीको ब्रह्मचर्यका करना चाहिये।

 यह भी देखें आपके लिए उपयोगी हो सकता है........... 

12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में 

विद्यां ददाति विनयं

गोपी गीत लिरिक्स इन हिंदी अर्थ सहित











विद्यार्थीको सुखकी आसक्तिका सर्वथा त्याग कर देना चाहिये-

सुखार्थी चेत् त्यजेद्विद्यां विद्यार्थी च त्यजेत् सुखम् । 
सुखार्थिनः कुतो विद्या कुतो विद्यार्थिनः सुखम् ॥
(चाणक्यनीति१० । ३)

'यदि सुखकी इच्छा हो तो विद्याको छोड़ दे और यदि विद्याकी इच्छा हो तो सुखको छोड़ दे; क्योंकि सुख चाहने वालेको विद्या कहाँ और विद्या चाहनेवालेको सुख कहाँ ?' विद्याध्ययन करना भी तप है और तपमें सुखका भोग नहीं होता।



नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके संस्कृत के बेहतरीन और चर्चित श्लोकों की लिस्ट [सूची] देखें-
{ नीति श्लोक व शुभाषतानि के सुन्दर श्लोकों का संग्रह- हिंदी अर्थ सहित। }





नीति संग्रह- मित्र लाभ:
विद्या ददाति विनयम in Hindi

0/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close