Aano Bhadra
स्वस्तिवाचन संस्कृत लिरिक्स
Aano Bhadra
गौरी गणेश पूजन स्वतयन मंत्र
ॐ आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासोऽ परीतास उद्भिदः।
देवा नो यथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो रक्षितारो दिवे दिवे।।
देवानां भद्रा सुमतिर्ऋजूयतां देवाना ँ रातिरभि नो निवर्तताम्।
देवाना ँ सख्यमुपसेदिमा व्वयं देवा न आयुः प्रतिरन्तु जीवसे।।
तान्पूर्वया निविदा हूमहे वयं भगं मित्रामदितिं दक्षमस्रिधम्।
अर्यमणं वरुण ँ सोममश्विना सरस्वती नः सुभगा मयस्करत्।।
तन्नो व्वातो मयोभु वातु भेषजं तन्माता पृथिवी तत्पिता द्यौः।
तद् ग्रावाणः सोमसुतो मयोभुवस्तदश्विना शृणुतं धिष्ण्या युवम्।।
तमीशानं जगतस्तस्थुषस्पतिं धियञ्जिन्वमवसे हूमहे वयम्।
पूषा नो यथा वेदसामसद् वृधे रक्षिता पायुरदब्धः स्वस्तये।।
स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः।
स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु।।
पृषदश्वा मरुतः पृश्निमातरः शुभं यावानो विदथेषु जग्मयः।
अग्निर्जिह्वा मनवः सूरचक्षसो विश्वे नो देवा अवसागमन्निह।।
भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः।
स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवा ँ सस्तनुभिर्व्यशेमहि देवहितं यदायुः।।
शतमिन्नु शरदो अन्ति देवा यत्रा नश्चक्रा जरसं तनूनाम्।
पुत्रसो यत्रा पितरो भवन्ति मा नो मध्या रीरिषतायुर्गन्तोः।।
अदितिर्द्यौरदितिरन्तरिक्षमदितिर्माता स पिता स पुत्रः।
विश्वे देवा अदितिः पञ्चजना अदितिर्जातमदितिर्जनित्वम्।।
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्ष Ủ शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिर्व्वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्मशान्तिः सर्वं Ü शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सामा शान्तिरेधि।।
यतो यतः समीहसे ततो नोऽअभयं कुरू।
शं नः कुरु प्रजाभ्योऽभयं नः पशुब्भ्यः।। सुशान्तिर्भवतु।।
Aano Bhadra
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