भागवत कथानक के सभी भागों की क्रमशः सूची/ Bhagwat Kathanak story all part
आप सभी भागवत कथानक प्रेमियों के लिए- हमने भागवत कथा के सभी भागों के क्रमशः नीचे लिंक प्रदान किये हैं, जिससे कि आप को दूसरे पेज में जाना एकदम सरल हो | नीचे दिए गए भागों में क्लिक करके क्रमशः आप पढ़ सकते हैं ?
- भागवत कथानक
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- शिव पुराण कथा
- शिव पुराण कथा भाग
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माहात्म्य भाग-1
माहात्म्य भाग-2
माहात्म्य भाग-3
प्रथम स्कन्ध भाग-1
प्रथम स्कन्ध भाग-2
प्रथम स्कन्ध भाग-3
द्वितीय स्कंध भाग-1
द्वितीय स्कंध भाग-2
तृतीय स्कंध भाग-1
तृतीय स्कंध भाग-2
तृतीय स्कंध भाग-3
तृतीय स्कंध भाग-4
चतुर्थ स्कंध भाग-1
( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )
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चतुर्थ स्कंध भाग-2
चतुर्थ स्कंध भाग-3
चतुर्थ स्कंध भाग-4
पंचम स्कंध भाग-1
पंचम स्कंध भाग-2
पंचम स्कंध भाग-3
षष्ठम स्कन्ध भाग-1
षष्ठम स्कन्ध भाग-2
षष्ठम स्कन्ध भाग-3
सप्तम स्कंध भाग-1
सप्तम स्कंध भाग-2
अष्टम स्कंध भाग-1
अष्टम स्कंध भाग-2
अष्टम स्कंध भाग-3
नवम स्कंध भाग-1
नवम स्कंध भाग-2
नवम स्कंध भाग-3
नवम स्कंध भाग-4
दशम स्कंध भाग-1
दशम स्कंध भाग-2
दशम स्कंध भाग-3
दशम स्कंध भाग-4
दशम स्कंध भाग-5
दशम स्कंध भाग-6
दशम स्कंध भाग-7
दशम स्कंध भाग-8
दशम स्कंध भाग-9
दशम स्कंध भाग-10
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दशम स्कंध भाग-11
दशम स्कंध भाग-12
दशम स्कंध भाग-13
दशम स्कंध भाग-14
दशम स्कंध भाग-15
दशम स्कंध भाग-16
दशम स्कंध भाग-17
दशम स्कंध भाग-18
दशम स्कंध भाग-19
दशम स्कंध भाग-20
एकादश स्कंध भाग-1
एकादश स्कंध भाग-2
द्वादश स्कंध भाग-1
दृष्टान्त महासागर के सभी दृष्टांतो की लिस्ट देखें नीचे दिये लिंक पर क्लिक करके। -click- drishtant mahasagar list
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आपको बता दें कि आचार्य शिवम मिश्र जी महाराज भागवत कथा वाचन के साथ-सथ ,छात्रों को भागवत कथा की शिक्षा भी प्रदान करते आ रहे हैं।
हमारे ऋषि-मुनियों की कृपा से विश्व को अठारह पुराण प्राप्त हुए हैं |
जिनमें से श्रीमद् भागवत महापुराण एक अनुपम पुराण है,, भगवत प्राप्ति कराने वाला है यह पुराणों में तिलक के रूप में जाना जाता है |
इस श्रीमद् भागवत महापुराण का निर्माण महर्षि वेदव्यास जी द्वारा तीसरे युग द्वापर के अंत में किया गया है |
वेदव्यास जी त्रिकालज्ञ थे वह भूत भविष्य वर्तमान को जानने वाले थे, उन्होंने देखा कि कलयुग में जो आने वाला समय है वह प्राणियों का कल्याण के लिए बड़ा दुर्लभ समय आने वाला है | श्री वेदव्यास जी ने कृपा करके कलयुगी प्राणियों को भगवत प्राप्ति कराने का मार्ग अपनी लेखनी द्वारा निकाला |
उन्होंने सर्वप्रथम महाभारत नामक इतिहास को लिखा जिसमें एक लाख श्लोक हैं, जोकि विश्व का पहला इतिहास है और सबसे बड़ा |
उसके बाद उन्होंने वेद के चार भाग किए अन्य पुराणों की रचना की लेकिन उनके आत्मा को शांति नहीं मिली इन सबकी रचना करने के बाद भी |
उनके हृदय मे अशांति थी तब देवर्षि नारद आए और उन्होंने अशांति के कारण को बतलाया कि आपने ग्रंथों में धर्म अर्थ काम मोक्ष इन चारो पुरुषार्थों का वर्णन किया है, परंतु आपने किसी भी ग्रंथ में भगवान की सुंदर मधुर लीलाओं की रचना नहीं की |
व्यास जी कोई काम निष्काम भले ही हो लेकिन वह भगवान की लीलाओं से परे हो तो उसकी सार्थकता नहीं होती |
हो ना हो वेदव्यास जी आपके दुख का यही कारण है इसलिए आप अपने दिव्य दृष्टि से भगवान की लीलाओं को देखिए और अपनी लेखनी के द्वारा ग्रंथ का निर्माण करके जगत का कल्याण करिए |
तब श्री वेदव्यास जी ने परमहंसो की पावन संहिता यह श्रीमद् भागवत महापुराण की रचना की और फिर अपने पुत्र श्री सुकदेव जी को उत्तम अधिकारी जानकर उन्हें पढ़ाया |
वही श्री सुकदेव जी महाराज राजा परीक्षित को इस दिव्य ज्ञान को प्रदान करते हैं ,,
भागवत महापुराण में भगवान के सुंदर सुंदर चरित्रों का और उनके भक्तों के चरित्रों का वर्णन किया गया है जिसके श्रवण मात्र से जीवो के अंतर्गत पाप जलकर नष्ट हो जाते हैं और वह भगवत धाम के अधिकारी हो जाते हैं |