F bhagwat mahatmya story 3 श्रीमद् भागवत महापुराण कथानक महात्म्य (3) - bhagwat kathanak
bhagwat mahatmya story 3 श्रीमद् भागवत महापुराण कथानक महात्म्य (3)

bhagwat katha sikhe

bhagwat mahatmya story 3 श्रीमद् भागवत महापुराण कथानक महात्म्य (3)

bhagwat mahatmya story 3  श्रीमद् भागवत महापुराण कथानक महात्म्य (3)
भागवत कथानक महात्म्य , भाग- 3
श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताहिक कथा Bhagwat Katha story in hindi
भागवत श्रवण करने की विधि का वर्णन
छठमें अध्याय में भागवत सुनने की विधि का वर्णन किया गया है
दैवज्ञं तु समाहूय मुहूर्तं प्रच्छपयत्नतः |
विवाहे यादृशं वित्तं तादृशं परिकल्पयेत ||
जिन्हें कथा करानी है वे सर्वप्रथम किसी ज्योतिषी से उत्तम मुहूर्त पूंछे  और जैसे विवाह में प्रसन्नतापूर्वक धन खर्च करते हैं उसी प्रकार कथा में बिना कंजूसी के धन खर्च करें |


विरक्तो वैष्णवो विप्रो वेदशास्त्र विशुद्धिकृत |
दृष्टान्तकुशलो धीरो वक्ता कार्योतिनिस्पृशः ||
कथा में वैष्णव ब्राह्मण भगवान को वक्ता के रूप में वर्णन करें वक्ता वेद शास्त्र की स्पष्ट व्याख्या करने में समर्थ हो दृष्टांत देने में कुशल हो और कथा में पांच ब्राह्मणों का वर्णन करें जो गणपति गायत्री और द्वादशाक्षर मंत्र का जप करें तथा भागवत और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने वाले हो। 

सुंदर गणपति नवग्रह मंडल सर्वतो भद्र मंडल आदि बनवाएं प्रतिदिन उनका पूजन करें विधि पूर्वक कथा में 7 दिन तक यदि बिना कुछ खाए रह सकें तो अच्छा है अन्यथा फलाहार करके कथा सुने और यदि यह भी नहीं हो सकता तो |
भोजनं तु वरं मन्ये कथा श्रवण कारकम् |
नोपवासः वरः प्रोक्तःकथाविघ्न करोयदि ||
भोजन करके कथा सुने परंतु भोजन इतना करें कि आलस्य ना आए 7 दिनों के पश्चात कथा की समाप्ति पर यदि विरक्त श्रोता है तो हवन करें पूर्णाहुति करें पूर्णाहुति के पश्चात ब्राह्मणों को दक्षिणा दे और कम से कम 12 ब्राह्मणों को भोजन कराएं और कथा की समाप्ति पर कीर्तन करें जैसे ही श्रोता ने यह  सुना की कथा की समाप्ति पर कीर्तन करना चाहिए।

 प्रह्लाद जी ने करताल उठा ली उद्धव जी झांझ बजाने लगे देवर्षि नारद वीणा बजाने लगे अर्जुन राग अलापने लगे इन्द्र मृदंग बजाने लगे सनकादि कुमार जय जयकार करने लगे श्री सुखदेव जी अपने भावों के द्वारा कीर्तन के भाव प्रदर्शित करने लगे और भक्ति ज्ञान वैराग्य तीनों नृत्य करने लगे। 

इतना दिव्य कीर्तन हुआ कि भगवान श्रीहरि प्रकट हो गए उन्होंने कहा सनकादि मुनियों मैं तुम्हारी कथा और कीर्तन से प्रसन्न हूं तुम्हारी जो इच्छा हो वह वरदान मांगो सनकादि मुनियों ने कहा प्रभु जहां कहीं भी भागवत की कथा हो वहां आप अपने भक्तों के साथ अवश्य पधारें भगवान ने तथास्तु कहकर अंतर्ध्यान हो गए |
  ( बोलिए भक्त वत्सल भगवान की जय )

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

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नोट - अगर आपने भागवत कथानक के सभी भागों पढ़  लिया है तो  इसे भी पढ़े श्री जीयर स्वामी जी महराज की यह भागवत कथा हमारी दूसरी वेबसाइट पर अब पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी है 

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