भागवत कथा,दशम स्कन्ध भाग-5

श्रीमद्भागवत महापुराण साप्ताहिक कथादशम स्कन्ध भाग-5
श्रीमद्भागवत महापुराण सप्ताहिक कथा Bhagwat Katha story in hindi
एक गोपी ने कहा मैया कन्हैया हमारे घर आता है और माखन की चोरी करता है, मैया ने कहा गोपी कान्हा को अंधेरे से बहुत डर लगता है तुम माखन अंधेरे में रख दिया करो |

गोपी ने कहा मैया हमने ऐसा भी करके देखा परंतु आपने इसके हाथ में जो मणिमय कंगन पहना रखें हैं उससे प्रकाश हो जाता है  और कन्हैया माखन की चोरी कर लेता है |

मैया ने कहा गोपी माखन ऊपर रख दिया करो, गोपी ने कहा मैया महर्षि पतंजलि ने पातंजल योग सूत्र की रचना की, महर्षि कपिल सांख्ययोग की रचना की परंतु तेरे लाला ने स्तेय योग ( चोरी ) की रचना की अनेक उपायों से माखन की चोरी कर लेता है |

( माखन चोरी लीला )

मैया ने कहा गोपी यदि ऐसी बात है तो तुम कन्हैया को पकड़ कर दिखाओ गोपियों ने शपथ खाई अब की कन्हैया को अवश्य पकड़ कर लाएंगी | एक गोपी अपनी खाट के नीचे माखन का मटका रख के सो गई, कन्हैया आए माखन खाया  उसकी चोटी खाट में बांधी और जोर से उसकी कान में आवाज लगाई गोपी हउआ जैसे ही गोपी डर के उठी उसके साथ खाट भी उठ गई | कन्हैया अंगूठा दिखाया और चलते बने |

भागवत कथा - bhagwat katha

एक गोपी माखन का मटका रख के अंदर छुप गई कन्हैया ने जैसे ही माखन चुराने के लिए प्रविष्ट हुए गोपी ने उन्हें पकड़ लिया और रस्सी से कन्हैया को बांधने लगी , वो नहीं समझ सकी कि वह परम ब्रह्म को बांधना चाह रही थी, जब वह बांध ना सकी तो कन्हैया ने कहा गोपी तोये बांधवो तो आयेे न, देख मैं सिखाऊं कैसे बांधो जाए |

 गोपी ने कहा ठीक है कन्हैया सिखा दे कन्हैया ने रस्सी ली और बाँधते हुए कहा देख गोपी ये पहली गठान, गोपी ने कहा हां कन्हैया एक गठान | कन्हैया ने कहा यह दूजो गठान और यह ब्रम्ह गठान | गोपी ने कहा कन्हैया अब मैंने बांधना सीख लिया है तू मुझे छोड़ दे कन्हैया ने कहा गोपी जिसे हम एक बार बाँधते हैं फिर उसे दोबारा नहीं छोड़ते , अंगूठा दिखाया और चलते बने |

एक गोपी कन्हैया को पकड़ने के लिये माखन का मटका ले के लिए बैठी हुई थी , उसकी सास जमुना जी से पानी लेने गई थी ,कन्हैया दौड़े दौड़े आए कहा अरी गोपी तू यहां बैठी है वहां जमुना जी में  तेरी सास को पैर फिसल गयो है | जल्दी जा बस ऊपर ही पहुंचने वाली है |

गोपी दौड़ी-दौड़ी सास के पास आई, यहाँ कन्हैया ने पीछे से माखन खाया ग्वाल बालों को खिलाया और बचा हुआ माखन आंगन में लीप दिया | जैसे ही सास बहू आई उन्होंने द्वार खोला और अंदर पैर रखा | तो सर से जा दीवाल से वा दीवाल के पास पहुंची, जैसे ही खड़े होने का प्रयास करती हैं धड़ाम से गिर जाती | जैसे तैसे सरकते सरकते द्वार के बाहर आई|

एक गोपी माखन के मटके को ऊपर बांध उसमे घंटियों को लटका, एकांत में छिप गयी | कन्हैया को जब मालूम हुआ गोपी ने पकड़ने की भारी तैयारी कर रखी है तो ग्वाल वालों को साथ ले गोपी के यहां पहुंचे , घंटी की प्रार्थना की देख घंटी बाजियों मत |

घेरा बनाकर ग्वाल बाल खड़े हो गए ,कन्हैया धीरे से ग्वाल बालों के ऊपर से मटकी के पास पहुंच गए सभी ग्वाल बालों को माखन खिलाया और जैसे ही स्वयं माखन खाने लगे घंटी टन टन टन बज उठी | सभी ग्वाल बाल भाग गए, कन्हैया मटकी में लटके रहे गोपी ने आकर कन्हैया को नीचे उतारा | कन्हैया ने घंटी से  कहा तू काहे को बज गई घंटी ने कहा भगवन आज मैं नही बजती तो मेरा अस्तित्व ही नही रहता लोग मुझे मंदिर में क्यों रखते | इसलिए मैं बज गयी, प्रभु मुझे क्षमा कीजिए |

गोपी ने कन्हैया का हाथ पकड़ा और यशोदा के पास चली मार्ग में कन्हैया ने गोपी से कहा गोपी मेरी नाजुक सी कलाई है जा में दर्द हो रहा है , तू दूसरी कलाई पकड़ ले लंबा घुंघट काढ़े उस गोपी ने जैसे ही कन्हैया की दूसरी कलाई पकड़ना चाहा कन्हैया ने उसके छोरे का हाथ पकड़ा दिया और दौड़कर मैया के पास चले आए , उसी समय वह गोपी बाहर से आवाज लगाने लगी -अरे यशोदा बाहर निकल, देख आज मैं तेरे लाला को रंगे हाथ पकड़ लाई हूं |

मैया यशोदा बहार आई कहा गोपी पहले अपनों घूघट उठा के देख तूने कौन को हाथ पकड़ रखा है, गोपी ने जैसे ही घूघट उठाया उसने अपने छोरे को देखा , तो  गाल पर दो चपाट लगाई कहा- दारी के तू कहां से आ गयो |लज्जित हो गोपी लौटा गई रास्ते में कन्हैया मिले कहा भाभी आज तो तेरे छोरा का हाथ पकड़ायो हैं | अब की बार पकड़ने की कोशिश करी तो तेरे खसम का हाथ  तेरे हाथ पकड़ा दूंगो|
इस प्रकार कन्हैया अनेकों बाल लीलाएं करते|

कन्हैया के मुख मण्डल पर, गोबर के द्वारा श्रंगार

एक बार जब कई दिनों तक कन्हैया माखन की चोरी करने नहीं आए , तो एक गोपी कन्हैया के दर्शन के लिए गोबर लेने के बहाने नंद बाबा के पास आयी | कन्हैया उस गोपी के पास पहुंचे कहा ऐसे गोबर ले जाने को नहीं मिलेगा | गोबर के बदले तुम्हें माखन का लोंदा देना पड़ेगा, गोपी ने कहा ठीक है कन्हैया |

दो चार टोकरी गोबर जब गोपी ले गई तो कन्हैया ने कहा गोपी मैं गिनती भूल जाऊंगो, तू ऐसा कर जितनी बार गोबर ले जाए उतनी बार गोबर की टिक्की मेरे गाल में रख दियो कर | सुबह से शाम हो गई कन्हैया का मुख मंडल गोबर की टिक्कियों से भर गया | कन्हैया ने कहा गोपी अब माखन का लोदा दो , गोपी ने कहा कन्हैया ऐसे नहीं दूंगी पहले नच के दिखाओ | कन्हैया ता ता थई थई ठुमक ठुमक के नाचने लगे |

भक्त कवि रसखान जी कहते हैं-

शेष महेश गणेश दिनेश सुरेशहुं जाहि निरंतर गावैं,
जाहि अनादि अनंत अखंड अछेद अभेद सुवेद बतावैं|नारद से शुक-व्यास रटे पछिहारे तौ पुनि पार न पावैं, ताहि अहीर की छोहरियां छछिया भर छांछ पे नाच नचावैं |

( मृद भक्षण लीला )
एक दिन भगवान श्रीकृष्ण ने मिट्टी खाई तो दाऊ दादा और ग्वाल बालों ने मैया से शिकायत की- कन्हैया ने आज मिट्टी खाई | मैया यशोदा ने कन्हैया का हाथ पकड़ा और डांटते हुए कहा क्यों रे चटोरे तू ने मिट्टी खाई, क्यों खाई है | कन्हैया ने कहा-

नाहं भक्षितवानम्ब सर्वे मिथ्याभिशंसिन: । 
यदि  सत्यगिरस्तर्हि समक्षं पश्य मे मुखम् ।। १०/८/३५
मैया मैंने मिट्टी नहीं खाई यह सब झूठ बोल रहे हैं ,यदि तुम्हें मेरे ऊपर विश्वास नहीं तो मेरा मुंह देख लो | कन्हैया ने सोचा मैया ने पहले मुख देखा था तो डर गई थी इसलिए संभवत: इस बार मुख ना देखें ,मैया ने कहा कन्हैया यदि ऐसी बात है तो मुंह खोलो |

कन्हैया ने जैसे ही मुंह खोला मैया को कन्हैया के छोटे से मुख में संपूर्ण ब्रह्मांड दिखाई दिया- सात दीपों में जम्बू दीप, जम्बू द्वीप में भारतवर्ष, भारतवर्ष में ब्रज मंडल ,ब्रज मंडल में गोकुल और गोकुल में कन्हैया को डांटते हुए वह मय्या भी उसमें दिखाई दी |

यह देख मैया यशोदा  सोचने लगी जिस कन्हैया को मैं अपना पुत्र मानती हूं ,कहीं वह परमात्मा तो नही यदि वह भगवान है तो उसे मैं प्रणाम करती हूं | भगवान श्री कृष्ण ने सोचा यदि मैया ने मुझे भगवान मान लिया तो लीला नहीं होगी मैया मंदिर में विठाला देगी और दो समय थोड़ी सी चिरौजी  का भोग लगा देंगी |

भगवान ने मन से पुत्र स्नेह मई वैष्णवी योग माया का संचार कर दिया जिससे मैया सब कुछ भूल गई , कन्हैया को गोद में उठा लिया और लाड लड़ाने लगी |

भागवत कथा - bhagwat katha

राजा परीक्षित पूछते हैं गुरुदेव मैया यशोदा और नंद बाबा ने ऐसा कौन सा  पवित्र साधन किया था जिसके कारण उन्हें भगवान की बाल लीलाएं देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था जो लीलाएं  वसुदेव और देवकी को देखने को नहीं मिली वह उन्हें मिली |

भागवत कथा के सभी भागों कि लिस्ट देखें 

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https://www.bhagwatkathanak.in/p/blog-page_24.html

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नोट - अगर आपने भागवत कथानक के सभी भागों पढ़  लिया है तो  इसे भी पढ़े यह भागवत कथा हमारी दूसरी वेबसाइट पर अब पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी है 

श्री भागवत महापुराण की हिंदी सप्ताहिक कथा जोकि 335 अध्याय ओं का स्वरूप है अब पूर्ण रूप से तैयार हो चुका है और वह क्रमशः भागो के द्वारा आप पढ़ सकते हैं कुल 27 भागों में है सभी भागों का लिंक नीचे दिया गया है आप उस पर क्लिक करके क्रमशः संपूर्ण कथा को पढ़कर आनंद ले सकते हैं |

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