षोडशोपचार पूजन विधि मंत्र shodaso pachar puja vidhi
॥ षोडशोपचारपूजनम् ॥
देवशक्तियाँ पदार्थों की भूखी नहीं । पदार्थों को
समर्पण के समय जो श्रद्धाभावना उमड़ती है, भगवान् उसी से सन्तुष्ट
होते हैं। ऐसी भावनाओं को सँजोये हुये, प्रत्येक कुण्ड से
एक-एक परिजन, देवशक्तियों का पूजन क्रमशः बताये गये पदार्थों
से करें ।
ॐ सर्वेभ्यो देवेभ्यो नमः । आवाहयामि, स्थापयामि ॥ 1 ॥
अर्थात् सभी देवताओं को नमस्कार है। सभी देवताओं
को आवाहित एवं स्थापित करता हूँ।
आसनं समर्पयामि ॥ 2 ॥ अर्थात्- आसन प्रदान करता हूँ
पाद्यं समर्पयामि ॥ 3 ॥ अर्थात्- पाद्य (पैर धोने का जल) प्रदान
करता हूँ ।
अर्घ्यं समर्पयामि ॥4॥ अर्थात्- अर्ध्य (सम्मानार्थ जल) प्रदान
करता हूँ ।
आचमनं समर्पयामि ॥ 5 ॥ अर्थात् - आचमन (मुख प्रक्षालनादि के
निमित्त जल) प्रदान करता हूँ ।
स्नानं समर्पयामि ॥ 6 ॥ अर्थात्- स्नान हेतु जल प्रदान करता हूँ।
वस्त्रं समर्पयामि ॥ 7 ॥ अर्थात्-वस्त्र समर्पित करता हूँ
यज्ञोपवीतं समर्पयामि ॥ 8 ॥ अर्थात् यज्ञोपवीत प्रदान करता हूँ ।
गन्धं विलेपयामि ॥ १ ॥ अर्थात्
- गन्ध (चन्दन या रोली) लगाता हूँ।
अक्षतान् समर्पयामि ॥ 10 ॥ अर्थात्- अक्षत प्रदान करता हूँ
पुष्पाणि समर्पयामि ॥11॥ अर्थात् पुष्प समर्पित करता हूँ।
धूपं आघ्रपयामि ॥12॥ अर्थात्- धूप सुवासित करता हूँ
दीपं दर्शयामि ॥ 13॥ अर्थात्- दीपक दिखाता हूँ।
नैवेद्यं निवेदयामि ॥ 14 ॥ अर्थात् - नैवेद्य (मिष्टान्न आदि) का भोग
लगाता हूँ ।
ताम्बूलपूगीफलानि समर्पयामि ॥ 15 ॥ अर्थात्- पान-सुपारी समर्पित करता हूँ।
दक्षिणां समर्पयामि ॥ 16 ॥ अर्थात्-दक्षिणा प्रदान करता हूँ ।
सर्वाभावे अक्षतान् समर्पयामि ॥
अर्थात्- अन्य किसी भी पदार्थ के अभाव में अक्षत प्रदान करता हूँ ।
ततो नमस्कारं करोमि ।
अर्थात्- तत्पश्चात् सभी देव शक्तियों को नमस्कार करता हूँ ।
ॐ नमोऽस्त्वनन्ताय सहस्रमूर्तये, सहस्रपादाक्षिशिरोरुबाहवे ।
सहस्रनाम्ने पुरुषाय शाश्वते, सहस्रकोटीयुगधारिणे नमः ॥
अर्थात्- हे अनन्तरूप वाले! सहस्र आकृतियों वाले, सहस्र पैरों, नेत्रों, सिरों,
जङ्घाओं, भुजाओं वाले, सहस्र
नामों वाले तथा सहस्र-करोड़ों युगों को धारण (पोषण) करने वाले शाश्वत पुरुष! आपको
बार-बार नमस्कार है ।