माता शत्रुः पिता वैरी श्लोक-
माता शत्रुः पिता वैरी श्लोकार्थ-
माता शत्रुः पिता वैरी येन बालो न पाठितः ।न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा ॥
माता शत्रुः पिता वैरी श्लोकार्थ-
जो माता-पिता अपने बच्चों को नहीं पढ़ाते वे शत्रु के सामान हैं| बुद्धिमानों की सभा में अनपढ़ व्यक्ति कभी सम्मान नहीं पाता, वहां वह हंसों के बीच बगुले के समान होता है|
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माता शत्रुः पिता वैरी श्लोकार्थ- Mata shatru pita vairi shlok sanskrit hindi arth sahit
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