F महालक्ष्मी चालीसा / maha lakshmi chalisa lyrics main - bhagwat kathanak
महालक्ष्मी चालीसा / maha lakshmi chalisa lyrics main

bhagwat katha sikhe

महालक्ष्मी चालीसा / maha lakshmi chalisa lyrics main

 महालक्ष्मी चालीसा / maha lakshmi chalisa lyrics main

 महालक्ष्मी चालीसा 

महालक्ष्मी चालीसा / maha lakshmi chalisa lyrics main


दोहा

जय जय श्री महालक्ष्मी करुँ मात तव ध्यान ।

सिद्ध काज मम कीजिए निज शिशु सेवक जान ॥ १ ॥

चौपाई

नमो महा लक्ष्मी जय माता, तेरो नाम जगत विख्याता ।

आदि शक्ति हो मात भवानी, पूजत सब नर मुनि ज्ञानी ॥ १ ॥ 

जगत पालिनी सब सुख करनी, निज जनहित भण्डारन भरनी ।

श्वेत कमल दल पर तव आसन, मात सुशोभित है पदमासन ॥ २ ॥

श्वेताम्बर अरु श्वेता भूषन, श्वेतहि श्वेत सुसज्जित पुष्पन ।

शीश छत्र अति रुप विशाला, गल सौहे मुक्तनकी माला ॥ ३ ॥

सुन्दर सोहे कुंचित केशा, विमल नयन अरु अनुपम भेषा ।

कमलनाल समभुज तवचारी, सुरनर मुनिजनहित सुखकारी ॥ ४ ॥  

अद्भुत छटा मात तवबानी, सकलविश्व कीन्हो सुखखानी ।

शांतिस्वभाव मृदुलतव भवानी, सकल विश्र्वकी होसुखखानी ॥ ५ ॥ 

महालक्ष्मी धन्य हो माई, पंच तत्व में सृष्टि रचाई ॥

जीव चराचर तुम उपजाए, पशु पक्षी नर नारि बनाए ॥ ६ ॥

क्षितितल अगणित वृक्षजमाए, अमितरंग फल फूल सुहाए ।

छवि बिलोक सुरमुनि नरनारी, करे सदा तव जय जय कारी ॥ ७ ॥ 

सुरपति औ नरपत सब ध्यावैं, तेरे सम्मुख शीश नवावैं ।

चारहु वेदन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया ॥ ८ ॥

जापर करहु मातु तुम दाया, सोई जग में धन्य कहाया ।

पल में राजहि रंक बनाओ, रंक राव कर बिलम न लाओ ॥ ९ ॥

जिन घरकरहु माततुम बासा, उनका यश हो विश्र्व प्रकाशा ।

जो ध्यावै सो बहु सुख पावै, विमुख रहै हो दुख उठावै ॥ १० ॥

महालक्ष्मी जन सुख दाई, ध्याऊं तुमको शीश नवाई ।

निजजन जानिमोहिं अपनाओ, सुखसम्पति दे दुख नसाओ ॥ ११ ॥

ओंम श्री श्री जयसुखकी खानी, रिद्धिसिद्ध देउ मातजनजानी ।

ओंमहृीं हृीं सब ब्याधिहटाओ, जनउन बिमल दृष्टिदर्शाओ ॥ १२ ॥

ओंम क्लीं क्लीं शत्रुन क्षयकीजै, जनहित मात अभय वरदीजै ।

ओंम जयजयति जयजननी, सकलकाज भक्तन के सरनी ॥ १३ ॥

ओंम नमो नमो भवनिधि तारनी, तरणि भंवर से पार उतारनी ।

सुनहु मात यह विनयहमारी, पुरवहु आशन करहु अबारी ॥ १४ ॥

रिणी दुखी जो तुमको ध्यावै, सो प्राणी सुख सम्पति पावै ।

रोग ग्रसित जो ध्यावै कोई, ताकी निर्मल काया होई ॥ १५ ॥

विष्णु प्रिया जय जय महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी ।

पुत्रहीन जो ध्यान लगावै, पाए सुत अतिहि हुलसावै ॥ १६ ॥

त्राहि त्राहि शरणागत तेरी, करहु मात अब नेक न देरी ।

आवहु मात विलम्बन कीजै, हृदय निवासभक्त बर दीजै ॥ १७ ॥

जानू जप तप का नहिं भेवा, पार करौ भवनिध बिन खेवा ।

बिनवों बार-बार कर जोरी, पूरण आशा करहु अब मेरी ॥ १८ ॥

जानि दास मम संकट टारौ, सकल व्याधि से मोहिं उबारौ ।

जो तव सुरति रहै लव लाई, सो जग पावै सुयश बडाई ॥ १९ ॥

छायो यश तेरा संसारा, पावत शेष शम्भु नहिं पारा ।

गोविंदनिशदिनशरणतिहारी, करहुपूरण अभिलाष हमारी ॥ २० ॥

दोहा 

महालक्ष्मी की कथा पढै सुनै चित लाय ।

ताहि पदारथ मिलै अब कहै वेद अस गाय ॥ २ ॥

॥ इति महालक्ष्मी चालीसा संपूर्ण ॥ 


चालीसा संग्रह  की यहाँ पर सूची दी गयी है , जो भी चालीसा का पाठ करना हो उस पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। 

नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके चालीसा संग्रह की लिस्ट [सूची] देखें-

Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3