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प्रेरक कहानी- विवेकहीनता झगडे का मूल / real life best inspirational stories in hindi

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प्रेरक कहानी- विवेकहीनता झगडे का मूल / real life best inspirational stories in hindi

प्रेरक कहानी- विवेकहीनता झगडे का मूल / real life best inspirational stories in hindi

प्रेरक कहानी 

प्रेरक कहानी- विवेकहीनता झगडे का मूल / real life best inspirational stories in hindi

विवेकहीनता झगडे का मूल

★ यह कहानी संत के ज्ञान को दर्शाने वाली कथा है क्युकि हमेशा ही ये माना जाता है की संत, गुरु, साधू और मुनि महाराज के पास उन सभी सांसारिक... समस्याओ का तुरंत हल मिल जाता है जिसके बारे में आज लोग और गृहस्थी हमेशा से ही परेशान रहते है |

◆ समाज में साधू,संत,गुरु और मुनि ही हर समस्या की एक मात्र चाबी माने जाते रहे है और यह सही भी है की इनके पास जाने मात्र से ही हमारे मन को शांति प्राप्त हो जाती है और फिर जब इनके दो सांत्वना भरे बोल या ज्ञान बढ़ाने वाले शब्द जब हमारे कान में जाते है तो जेसे अन्दर तक आत्मा को ठंडक पहुंचती हैl

◆ इसलिए आज एक ऐसी ही कहानी लेकर आया हूँ जिससे आप गुरु की महिमा को समझ ही जायेंगे की क्यों और कैसे ये सभी विद्धवान जन तुरंत ही हरेक के मन की समस्या का समाधान कर देते है।

◆ एक बार गोमल सेठ अपनी दुकान पर बेठे थे दोपहर का समय था इसलिए कोई ग्राहक भी नहीं था तो वो थोडा सुस्ताने लगे इतने में ही एक संत भिक्षुक भिक्षा लेने के लिए दुकान पर आ पहुचे।


◆ और सेठ जी को आवाज लगाई कुछ देने के लिए...  सेठजी ने देखा कि इस समय कौन आया है ?  जब उठकर देखा तो एक संत याचना कर रहा था।

◆ सेठ बड़ा ही दयालु था वह तुरंत उठा और दान देने के लिए कटोरी चावल बोरी में से निकाला और संत के पास आकर उनको चावल दे दिया।  संत ने सेठ जी को बहुत बहुत आशीर्वाद और दुवाए दी।

◆ तब सेठजी ने संत से हाथ जोड़कर बड़े ही विनम्र भाव से कहा कि  हे गुरुजन आपको मेरा प्रणाम मैं आपसे अपने मन में उठी शंका का समाधान पूछना चाहता हूँ।

◆ संत ने कहा की जरुर पूछो - तब सेठ जी ने कहा की लोग आपस में लड़ते क्यों है ?  संत ने सेठजी के इतना पूछते ही शांत स्वभाव और वाणी में कहा की

◆ सेठ मै तुम्हारे पास भिक्षा लेने के लिए आया हूँ तुम्हारे इस प्रकार के मूर्खता पूर्वक सवालो के जवाब देने नहीं आया हूँ।


◆ संत के मुख से इतना सुनते ही सेठ जी को क्रोध आ गया और मन में सोचने लगे की यह कैसा घमंडी और असभ्य संत है ?  ये तो बड़ा ही कृतघ्न है एक तरफ मैंने इनको दान दिया और ये मेरे को ही इस प्रकार की बात बोल रहे है इनकी इतनी हिम्मत

◆ और ये सोच कर सेठजी को बहुत ही गुस्सा आ गया और वो काफी देर तक उस संत को खरी खोटी सुनाते रहे  और जब अपने मन की पूरी भड़ास निकाल चुके  तब कुछ शांत हुए तब संत ने बड़े ही शांत और स्थिर भाव से कहा की

◆ जैसे ही मैंने कुछ बोला आपको गुस्सा आ गया और आप गुस्से से भर गए और लगे जोर जोर से बोलने और चिल्लाने लगे।

_◆ वास्तव में केवल विवेकहीनता ही सभी झगडे का मूल होता है यदि सभी लोग विवेकी हो जाये तो अपने गुस्से पर काबू रख सकेंगे या हर परिस्थिति में प्रसन्न रहना सीख जाये तो दुनिया में झगडे ही खत्म हो सकते है,,,


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