विशेषार्घ्य- मंत्र
ताम्रपात्र में जल, चन्दन, अक्षत, फल, फूल, दूर्वा और दक्षिणा रखकर अर्घ्यपात्र को हाथ में लेकर निम्नलिखित मन्त्र पढ़ेंः-
ॐ रक्ष रक्ष गणाध्यक्ष रक्ष त्रौलोक्यरक्षक।
भक्तानामभयं कर्ता त्राता भव भवार्णवात्।।
द्वैमातुर कृपासिन्धो षाण्मातुराग्रज प्रभो!।
वरदस्त्वं वरं देहि वाञ्छितं वाञ्छितार्थद।।
गृहाणाघ्र्यमिमं देव सर्वदेवनमस्कृतम्।
अनेन सफलार्घ्येण फलदोऽस्तु सदा मम।