F प्रेरक दृष्टांत कहानी- आलस रूपी भैंस / prerak drishtant kahani hindi - bhagwat kathanak
प्रेरक दृष्टांत कहानी- आलस रूपी भैंस / prerak drishtant kahani hindi

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प्रेरक दृष्टांत कहानी- आलस रूपी भैंस / prerak drishtant kahani hindi

प्रेरक दृष्टांत कहानी- आलस रूपी भैंस / prerak drishtant kahani hindi

 आलस रूपी भैंस 

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प्रेरक दृष्टांत कहानी- आलस रूपी भैंस / prerak drishtant kahani hindi

एक बार की बात है। एक महात्मा अपने शिष्य के साथ एक गांव से गुजर रहे थे। दोनों को बहुत भूख लगी थी। पास में ही एक घर था। 


दोनों घर के पास पहुंचे और दरवाजा खटखटाया। अंदर से फटे-पुराने कपड़े पहना एक आदमी निकला। 

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महात्मा ने उससे कहा- हमें बहुत भूख लगी है। कुछ खाने को मिल सकता है क्या? 

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उस आदमी ने उन दोनों को खाना खिलाया।

खाना खाने के बाद महात्मा ने कहा...

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तुम्हारी जमीन बहुत उपजाऊ लग रही है, लेकिन फसलों को देखकर लगता है कि तुम खेत पर ज्यादा ध्यान ही नहीं देते। फिर तुम्हारा गुजारा कैसे होता है? 

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आदमी ने उत्तर दिया- हमारे पास एक भैंस है, जो काफी दूध देती है। उससे मेरा गुजारा हो जाता है। 

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रात होने लगी थी, इसलिए महात्मा शिष्य सहित वहीँ रुक गए।

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रात को उस महात्मा ने अपने शिष्य को उठाया और कहा- चलो हमें अभी ही यहां से निकलना होगा और इसकी भैंस भी हम साथ ले चलेंगे। 

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शिष्य को गुरु की बात अच्छी नहीं लगी, लेकिन करता क्या! दोनों भैंस को साथ लेकर चुपचाप निकल गए।

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यह बात उस शिष्य के मन में खटकती रही। 

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कुछ सालों बाद एक दिन शिष्य उस आदमी से मिलने का मन बनाकर उसके गांव पहुंचा। 

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जब शिष्य उस खेत के पास पहुंचा, तो देखा खाली पड़े खेत अब फलों के बगीचों में बदल चुके थे। 

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उसे यकीन नहीं आ रहा था, तभी वह आदमी सामने दिख गया। 

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शिष्य उसके पास जाकर बोला- सालों पहले मैं अपने गुरु के साथ आपसे मिला था। 

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आदमी ने शिष्य को आदर पूर्वक बिठाया और बताने लगा... उस दिन मेरी भैंस खो गई। पहले तो समझ में नहीं आया कि क्या करूं। 

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फिर, जंगल से लकड़ियां काटकर उन्हें बाजार में बचने लगा। उससे कुछ पैसे मिले, तो मैंने बीज खरीद कर खेतो में बो दिए। 

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उस साल फसल भी अच्छी हो गई। उससे जो पैसे मिले उन्हें मैंने फलों के बगीचे लगाने में इस्तेमाल किया। 

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अब काम बहुत ही अच्छा चल रहा है। और इस समय मैं इस इलाके में फलों का सबसे बड़ा व्यापारी हूं। 

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कभी-कभी सोचता हूं उस रात मेरी भैंस न खोती तो यह सब न होता। 

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शिष्य ने उससे पूछा, यह काम आप पहले भी तो कर सकते थे? 

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तब वह बोला, उस समय मेरी जिंदगी बिना मेहनत के चल रही थी। मुझे कभी लगा ही नहीं कि मैं इतना कुछ कर सकता हूं।

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मित्रों, अगर आपके जीवन में भी तो कोई ऐसी आलस रूपी भैंस है, जो आपको बड़ा बनने से रोक रही है, तो उसे आज ही छोड़ दें। यह करना बहुत ही मुश्किल है, लेकिन असंभव नहीं है।

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