12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi

12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi

12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के ना, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi,म हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi

राशि- नाम अक्षर

  • मेष– चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ
  • वृष– ई, ऊ, ए, ओ, वा, वी, वू, वे, वो
  • मिथुन– का, की, कू, घ, ङ, छ, के, को, ह
  • कर्क– ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो
  • सिंह– मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे
  • कन्या– ढो, पा, पी, पू, ष, ण, ठ, पे, पो
  • तुला– रा, री, रू, रे, रो, ता, ती, तू, ते
  • वृश्चिक– तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू
  • धनु– ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे
  • मकर– भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी
  • कुंभ– गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा
  • मीन– दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची
 Rashi ke Naam /12 राशियों के नाम हिंदी और इंग्लिश में
Rashi ke Naam /12 राशियों के नाम हिंदी और इंग्लिश में
 Rashi ke Naam /12 राशियों के नाम हिंदी और इंग्लिश में

Rashiyon ke Naam in Hindi

राशी हिंदी (Phonetic)Rashi EnglishSignSwamiColorNag
मेष (Mesh)Ariesमेढामंगलसिन्दूरीमूंगा
वृषभ (Vrushabh)Taurusबेलशुक्रसफेदहीरा
मिथुन (Mithun)Geminiयुवा दंपत्तिबुधहरापन्ना
कर्क (Kark)Cancerकैकडाचन्द्रसफेदमोती
सिंह (Sinh)Leoशेरसूर्यलालमाणिक्य
कन्या (Kanya)Virgoकुमारी कन्याबुधहरापन्ना
तुला (Tula)Libraतराजूशुक्रसफेदहीरा
वृश्चिक (Vrushchik)Scorpiusबिच्छुमंगलसिन्दूरीमूंगा
धनु (Dhanu)Sagittariusधनुष, धर्नुधारीगुरुपीलापुखराज
मकर (Makar)Capricornusमगरमच्छशनिनीलानीलम
कुंभ (Kumbha)Aquariusघड़ा, कलशशनिनीलानीलम
मीन (Meen)Piscesमछलीगुरुपीलापुखराज


rashi name in english, rashi name meaning in hindi, rashi name letters, mithun rashi name, kark rashi name, kumbh rashi name, makar rashi name, kanya rashi name, mesh rashi name, meen rashi name, rashi name akshar, rashi name according to date of birth, rashi name alphabet, rashi name and number, rashi name all, rashi name and swami, rashi name and symbol, rashi name and lord, rashi names , b naam ki rashi, राशि नाम मीनिंग इन हिंदी, राशि नाम अक्षर, राशि नाम अक्षर कैसे जाने, राशि नाम अक्षर gujarati, rashi name a, राशि अनुसार नाम, राशि अनुसार नाम के पहले अक्षर, rashi a name ki, rashi नाम का अर्थ, जन्म राशि नाम अक्षर,


12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi

श्री राम देशिक ज्योतिष केंद्र यदि आप शिक्षा, नौकरी, व्यवसाय, विवाह आदि से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो आप सही जगह पर आए हैं।ज्योतिष संस्थान

मानो आपको उन समस्याओं के समाधान का साधन मिल गया हो, तो आप ज्योतिषाचार्य आचार्य शिवम मिश्रा जी महाराज (संकर्षण रामानुज दास) से संपर्क कर सकते हैं और अपनी हर समस्या का समाधान पा सकते हैं।

सज्जनों, हम आपको बता दें कि आचार्य शिवम मिश्र जी महाराज (संकर्षण रामानुज दास) अपने कई वर्षों के ज्योतिषीय चिंतन और कई कुंडलियों के शोध के अनुभव से बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान बहुत ही सरल उपाय करके संघर्षरत लोगों को करने में सक्षम हैं। उनकी समस्याओं के साथ. आइए हल करें |ज्योतिष संस्थान

यहां आचार्य शिवम मिश्र जी महाराज द्वारा बताए गए उपायों से आपको अपनी समस्याओं से 100% राहत मिलेगी, शीघ्र संपर्क करें- 8368032114

कुंडली विश्लेषण, रत्न उपाय, हस्तरेखा, वास्तु विशेषज्ञ
ज्योतिष संस्थान श्री राम देशिक ज्योतिष केंद्र  

shree raam deshik jyotish kendr yadi aap shiksha, naukaree, vyavasaay, vivaah aadi se sambandhit samasyaon se joojh rahe hain, to aap sahee jagah par aae hain.jyotish sansthaan

maano aapako un samasyaon ke samaadhaan ka saadhan mil gaya ho, to aap jyotishaachaary aachaary shivam mishra jee mahaaraaj (sankarshan raamaanuj daas) se sampark kar sakate hain aur apanee har samasya ka samaadhaan pa sakate hain.

sajjanon, ham aapako bata den ki aachaary shivam mishr jee mahaaraaj (sankarshan raamaanuj daas) apane kaee varshon ke jyotisheey chintan aur kaee kundaliyon ke shodh ke anubhav se badee se badee samasyaon ka samaadhaan bahut hee saral upaay karake sangharsharat logon ko karane mein saksham hain. unakee samasyaon ke saath. aaie hal karen |jyotish sansthaan

yahaan aachaary shivam mishra jee mahaaraaj dvaara batae gae upaayon se aapako apanee samasyaon se 100% raahat milegee, sheeghr sampark karen- 8368032114

kundalee vishleshan, ratn upaay, hastarekha, vaastu visheshagy
jyotish sansthaan
shree raam desik jyotish kendr

शास्त्रमें वरके विषयमें सात बातें देखनेके लिये कहा गया है—

कुलं च शीलं च वपुर्यशश्च विद्यां च वित्तं च सनाथतां च । 
एतान्गुणान्सप्त परीक्ष्य देया कन्या बुधैः शेषमचिन्तनीयम् ॥

'वरके कुल, शील, शरीर, यश, विद्या, धन और सनाथता (बड़े लोगोंका सहारा) -इन सात गुणोंकी परीक्षा करके अपनी कन्या देनी चाहिये।'

 Rashi ke Naam /12 राशियों के नाम हिंदी और इंग्लिश में

12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के ना, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi, 12 राशि के नाम हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi,म हिंदी और इंग्लिश में rashi name in hindi


यह भी देखें आपके लिए उपयोगी हो सकता है-


गृहस्थको घरमें कुत्ता नहीं रखना चाहिये । महाभारतमें आया है-

भिन्नभाण्डं च खट्वां च कुक्कुटं शुनकं तथा । 
अप्रशस्तानि सर्वाणि यश्च वृक्षो गृहेरुहः ॥ 
भिन्नभाण्डे कलिं प्राहुः खवायां तु धनक्षयः । 
कुक्कुटे शुनके चैव हविर्नाश्नन्ति देवताः । 
वृक्षमूले ध्रुवं सत्त्वं तस्माद् वृक्षं न रोपयेत् ॥ 
(महाभारत, अनु० १२७ । १५-१६) 

'घरमें फूटे बर्तन, टूटी खाट, मुर्गा, कुत्ता और अश्वत्थादि वृक्षका होना अच्छा नहीं माना गया है। फूटे बर्तनमें कलियुगका वास कहा गया है। टूटी खाट रहनेसे धनकी हानि होती है। मुर्गे और कुत्तेके रहनेपर देवता उस घरमें हविष्य ग्रहण नहीं करते तथा मकानके अन्दर कोई बड़ा वृक्ष होनेपर उसकी जड़के भीतर साँप, बिच्छू आदि जन्तुओंका रहना अनिवार्य हो जाता है, इसलिये घरके भीतर पेड़ न लगाये ।'

गोस्वामी तुलसीदासजीने कहा है-

जाके प्रिय न राम-बैदेही ।
तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही ॥ 
तज्यो पिता प्रह्लाद, बिभीषन बंधु, भरत महतारी । 
बलि गुरु तज्यो, कंत ब्रज-बनितन्हि, भये मुद-मंगलकारी ॥ - 

प्रह्लादने पिताका, विभीषणने भाईका, भरतने माँका, बलिने गुरुका और गोपियोंने पतिका त्याग कर दिया, तो क्याउनको दोष नहीं लगा ? उत्तर - यहाँ यह बात ध्यान देनेकी है कि उन्होंने पिता आदिका त्याग किस विषयमें, किस अंशमें किया ? 

हिरण्यकशिपु प्रह्लादजीको बहुत कष्ट देता था, पर प्रह्लादजी उसको प्रसन्नतापूर्वक सहते थे। वे इस बातको मानते थे कि यह शरीर पिताका है; अतः वे इस शरीरको चाहे जैसा रखें, इसपर उनका पूरा अधिकार है। 

इसीलिये उन्होंने पिताजीसे कभी यह नहीं कहा कि आप मेरेको कष्ट क्यों दे रहे हैं? परन्तु मैं (स्वयं) साक्षात् परमात्माका अंश हूँ; अतः मैं भगवान्को सेवामें, भजनमें लगा हूँ। पिताजी इसमें बाधा देते हैं, मुझे रोकते हैं – यह उचित नहीं है। इसलिये प्रह्लादजीने पिताजीकी उस आज्ञाका त्याग किया, जिससे उनको नरक न हो जाय। 

अगर वे पिताजीकी आज्ञा मानकर भगवद्भक्तिका त्याग कर देते तो इसका दण्ड पिताजीको भोगना पड़ता। पुत्रके द्वारा ऐसा कोई भी काम नहीं होना चाहिये, जिससे पिताको दण्ड भोगना पड़े। इसी दृष्टिसे उन्होंने पिताकी आज्ञा न मानकर पिताका हित ही किया, पिताका त्याग नहीं किया।

रावणने विभीषणको लात मारी और कहा कि तुम यहाँसे चले जाओ तो विभीषणजी रामजीके पास चले गये। अतः विभीषणने भाईका त्याग नहीं किया। प्रत्युत उसके अन्यायका त्याग किया; अन्यायका समर्थन, अनुमोदन नहीं किया। विभीषणने रावणको उसके हितकी बात ही कही और उसका हित ही किया।

- माँने रामजीको वनमें भेज दिया, दुःख दिया – इस विषयमें ही भरतने माँका त्याग किया है। 

भरतका कहना था कि जैसे कौसल्या अम्बा मेरेपर रामजीसे भी अधिक स्नेह करती हैं, ऐसे ही तेरेको भी रामजीपर मेरेसे भी अधिक स्नेह करना चाहिये था; परन्तु रामजीको तूने वनमें भेज दिया ! जब तू रामजीकी भी माँ नहीं रही, तो फिर मेरी माँ कैसे रहेगी ? 

इस विषयमें तेरेको दण्ड देना मेरे लिये उचित नहीं है। मैं तो यह कर सकता हूँ कि तेरेको 'माँ' नहीं कहूँ, और मैं क्या करूँ !

बलिने गुरुका इस अंशमें त्याग किया कि साक्षात् भगवान् ब्राह्मणवेशमें आकर मेरेसे याचना कर रहे हैं, पर गुरुजी मेरेको दान देनेसे रोक रहे हैं; अतः मैं गुरुकी बात नहीं मानूँगा। गुरुकी बातका भाग भी बलिने गुरुके हितके लिये

ही किया। बलि दान देनेके लिये तैयार ही थे। अगर उस समय वे गुरुकी बात मानते तो उसका दोष गुरुको ही लगता । अतः उन्होंने गुरुका शाप स्वीकार कर लिया और उस दोषसे, अहितसे गुरुको बचा लिया। स्वयं दण्ड भोग लिया, पर गुरुको दण्डसे बचा लिया तो यह गुरु-सेवा ही हुई !

पति भगवान्के सम्मुख होनेके लिये रोक रहे थे— इसी विषयमें गोपियोंने पतियोंका त्याग किया। अगर वे पतिकी बात मानतीं तो पति पापके भागी होते; अतः पतिकी बात न मानकर उन्होंने पतियोंको पापसे ही बचाया।

तात्पर्य है कि मनुष्यशरीरकी सार्थकता परमात्माको प्राप्त करनेमें ही है। अतः उसमें सहायक होनेवाला हमारा हित करता है और उसमें बाधा देनेवाला हमारा अहित करता है। प्रह्लाद आदि सभीने परमात्मप्राप्तिमें बाधा देनेवालेका ही त्याग किया है, पिता आदिका नहीं। इसीलिये उनका मङ्गल-हीमङ्गल हुआ।

 Rashi ke Naam /12 राशियों के नाम हिंदी और इंग्लिश में


3/Post a Comment/Comments

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

एक टिप्पणी भेजें

आपको यह जानकारी कैसी लगी हमें जरूर बताएं ? आपकी टिप्पणियों से हमें प्रोत्साहन मिलता है |

Stay Conneted

(1) Facebook Page          (2) YouTube Channel        (3) Twitter Account   (4) Instagram Account

 

 



Hot Widget

 

( श्री राम देशिक प्रशिक्षण केंद्र )

भागवत कथा सीखने के लिए अभी आवेदन करें-


close