चलती चाकी देखकर, दिया कबीरा रोय। chalti chaki dekh kar
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रौंदे मोय।
इक दिन ऐसा आयेगा, मै रौदूंगी तोय।
आये हैं तो जायेंगे, राजा रंक फकीर।
इक सिंहासन चढ़ चले, एक बँधे जंजीर।।
दुर्बल को न सताइये, जाकी मोटी हाय।
बिना जीव की साँस से लोह भस्म हो जाये।।
चलती चाकी देखकर, दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में, साबत बचा न कोय।।
दुख में सिमरन सब करें, सुख में करें न कोय।
जो सुख में सिमरन करें, दुख काहे को होय।।
पत्ता टूटा डाल से, ले गई पवन उड़ाय।
अबके बिछड़े कब मिलें, दूर पड़ेगे जाय।।