जग नैया हमार, नैया में हम हैं और हममें संसार। jag naiya hamar
जग नैया हमार, नैया में हम हैं और हममें संसार।
हम ही हैं नदिया और हम ही किनार।
हम ही हैं नदिया और हम ही किनार।
हमी हैं बटोही, हमीं खेवन हार करें बिन पैसा पार ।।
हमीं प्रेम बस्ती और हम ही बजार।
हमीं प्रेम बस्ती और हम ही बजार।
हमीं माल मालिक हमीं खरीदार, कहो कैसा व्यापार।।
दुष्टों को हम हीं कुलिश के प्रहार।
दुष्टों को हम हीं कुलिश के प्रहार।
प्रेमिन के गले के हैं फूलों के हार, करें तिनका उधार ।।
हमी कंस रावण को पल में दे मार ।
हमी कंस रावण को पल में दे मार ।
सुदामा और शबरी से जाते हैं हार, रखें दीनों पै प्यार ।।
अगम हूँ गुमानीन के झाँकू न द्वार।
अगम हूँ गुमानीन के झाँकू न द्वार।
खुले पाम दौडूं सुन गज की पुकार, देता संकट निवार।।
चुटकी में कर दूँ जगत का संहार ।
चुटकी में कर दूँ जगत का संहार ।
ऊखल से बँध डारूँ आँसू की धार, वृज के माखन से प्यार ।।
ध्यानी गये ध्यान धर–धर के हार।
ध्यानी गये ध्यान धर–धर के हार।
गरीबों के हिरदे में करता विहार, यही वेदों का सार।।
हमी रितु शिशिर वन कमल का तुषार ।
हमी रितु शिशिर वन कमल का तुषार ।
हमीं श्याम घन वर\ अमृत फुहार, नित्य रचते संसार।।