F shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी - bhagwat kathanak
shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी

bhagwat katha sikhe

shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी

shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी

 shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी

shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी

जय जय हे शिव दर्पकदाहक दैत्यविघातक भूतपते
दशमुखनायक शायकदायक कालभयानक भक्तगते।
त्रिभुवनकारकधारकमारक संसृतिकारक धीरमते 
हरिगुणगायक ताण्डवनायक मोक्षविधायक योगरते ॥१॥ 

हे मदनदाहक ! दैत्यकदन! भूतनाथ ! हे दशशीश-स्वामिन् ! हे [अर्जुनको] धनुष देनेवाले! हे कालको भी भयभीत करनेवाले! हे भक्तोंके आश्रय! हे त्रिलोकीकी उत्पत्ति, स्थिति और संहार करनेवाले! हे जगद्रचयिता धीरधी महादेव! हे हरिगुणगायक ताण्डवनायक मोक्षप्रदायक योगपरायण शंकर! आपकी जय हो! जय हो॥ १॥ 

shiv mantra lyrics in hindi

शिशिरकिरणधारी शैलबालाविहारी
भवजलनिधितारी योगिहृत्पद्मचारी। 
शमनजभयहारी प्रेतभूमिप्रचारी
कृपयतु मयि देवः कोऽपि संहारकारी॥२॥
जो चन्द्रकलाको धारण किये हैं, पार्वती-रमण हैं, संसारसमुद्रसे पार करनेवाले हैं, योगियोंके हृदयरूप कमलमें विहार करनेवाले हैं, मृत्यु-भयको दूर करनेवाले तथा श्मशानभूमिमें विचरनेवाले हैं, वे कोई सृष्टिसंहारकारी देव मुझपर कृपा करें ॥ २ ॥ 

shiv mantra in hindi

यः शङ्करोऽपि प्रणयं करोति स्थाणुस्तथा यः परपूरुषोऽपि। 
उमागृहीतोऽप्यनुमागृहीतः पायादपायात्स हिनः स्वयम्भूः॥३॥
जो मुक्तिदाता होकर भी प्रेम करता है, जो परमपुरुष होनेपर भी स्थाणु (निष्क्रिय) है, जो उमासे गृहीत होकर भी अनुमा (अनुमान या उमाभिन्न) से गृहीत होता है, वही स्वयम्भू शंकर हमारी मृत्युसे रक्षा करें॥ ३॥ 

 shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी


मूर्द्धप्रोद्भासिगङ्गेक्षणगिरितनयादुःखनिःश्वासपात
स्फायन्मालिन्यरेखाछविरिव गरलं राजते यस्य कण्ठे।
सोऽयं कारुण्यसिन्धुः सुरवरमुनिभिः स्तूयमानो वरेण्यो 
नित्यं पायादपायात्सततशिवकरः शङ्करः किङ्करं माम्॥४॥
मस्तकपर सुशोभित हुई गङ्गाजीको देखकर पार्वतीजीका शोकोच्छ्वास पड़नेके कारण बढ़े हुए मालिन्यकी श्यामल रेखाके समान मानो जिनके कण्ठमें गरल-चिह्न शोभित हो रहा है,बड़े-बड़े देवता और मुनि जिनकी स्तुति करते हैं, जो पूजनीय तथा सदैव कल्याण करनेवाले हैं वे दयासागर शंकर मुझ दासको नाशसे बचावें ॥ ४॥ 

 shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी


किं सुप्तोऽसि किमाकुलोऽसि जगतः सृष्टस्य रक्षाविधौ 
किं वा निष्करुणोऽसि नूनमथवा क्षीबः स्वतन्त्रोऽसि किम्। 
किं वा मादृशनिःशरण्यकृपणाभाग्यैर्जडोऽवागसि 
स्वामिन्यन्न शृणोषि मे विलपितं यन्नोत्तरं यच्छसि॥५॥ 
आपको क्या हो गया? क्या आप सो गये? क्या आप अपने बनाये हुए जगत्की रक्षाके काममें व्यस्त हैं? क्या बिलकुल ही निष्करुण बन बैठे-दयाको बिलकुल ही तिलाञ्जलि दे दी? क्या (न्याय-अन्यायकी) कुछ भी परवा न करके उन्मत्त अथवा स्वतन्त्र बन गये? या मेरे सदृश निःशरण जनके अभाग्यसे आपकी वाणी स्तम्भित हो गयी?--आप जडवत् हो गये? हे स्वामिन्! मेरा विलाप फिर आप क्यों नहीं सुनते और क्यों मेरी बातोंका उत्तर नहीं देते? ॥ ५ ॥ 

 shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी


कुन्दइन्दुदरगौरसुन्दरं अम्बिकापतिमभीष्टसिद्धिदम्।
कारुणीककलकञ्जलोचनं नौमि शङ्करमनङ्गमोचनम्॥६॥
कुन्दफूल, चन्द्र और शङ्खके समान गौरवर्ण एवं सुन्दर, पार्वतीके पति, मनोवाञ्छित सिद्धि देनेवाले, करुणासे भरे सुन्दर कमल-से नेत्रोंवाले और कामदेवके नाशक शङ्करको नमस्कार करता हूँ॥ ६ ॥

 shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी


मूलं धर्मतरोविवेकजलधेः पूर्णेन्दुमानन्ददं
वैराग्याम्बुजभास्करं ह्यघघनध्वान्तापहं तापहम्। 
मोहाम्भोधरपूगपाटनविधौ श्वासं भवं शङ्करं
वन्दे ब्रह्मकुलं कलङ्कशमनं श्रीरामभूपप्रियम् ॥७॥
(धर्म-वृक्षके मूल, विवेक-सिन्धुको आनन्द देनेवाले पूर्णचन्द्र, वैराग्य-कमलको प्रफुल्लित करनेवाले और पापतापके घनान्धकारको मिटानेवाले सूर्य, अज्ञानके बादलोंको उड़ा देनेवाले पवनरूप, कल्याण करनेवाले, संसारके कारण, ब्रह्माके पुत्र, कलङ्कके मिटानेवाले और श्रीरामके प्यारे शिवजीकी वन्दना करता हूँ॥ ७॥

 shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी


कदा द्वैतं पश्यन्नखिलमपि सत्यं शिवमयं
महावाक्यार्थानामवगतसमभ्यासवशतः ।
गतद्वैताभावः शिव शिव शिवेत्येव विलपन 
मुनिर्न व्यामोहं भजति गुरुदीक्षाक्षततमाः।। ८ ॥ 
 महावाक्योंके तात्पर्यार्थके अभ्यासद्वारा सारे संसारको सत्य और शिवरूप समझता हुआ,अद्वैततत्त्वज्ञाता होकर शिव शिव शिव इस प्रकार रटता हुआ मुनि, किम समय गुरुदीक्षासे अज्ञानरहित होकर, व्यामोह में न फंसेगा? ।। ८ ।। 

 shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी

त्राता यत्र न कश्चिदस्ति विषमे तत्र प्रहर्तुं पथि 
द्रोग्धारो यदि जाग्रति प्रतिविधि: कस्तत्र शक्यक्रियः। । 
यत्र त्वं करुणार्णवत्रिभुवनत्राणप्रवीण: प्रभु
स्तत्रापि प्रहरन्ति चेत् परिभवः कस्यैष गर्दावहः॥ ९ ॥
जिस भयंकर मार्ग में कोई रक्षक नहीं, उसमें यदि शत्रु सताने को तैयार हो तो वहाँ उनका क्या प्रतिकार किया जा सकता है? पर जहाँपर आप जैसे दयासिन्धु त्रैलोक्यकी रक्षा करने में कुशल स्वामी विराजमान हैं, वहाँपर यदि वे (काम-क्रोधादि शत्रु) प्रहार करें तो यह किसकी निन्दा और अपमान है ? ।। ९ ।।

 shiv shlok in sanskrit with meaning in hindi महादेव श्लोक हिंदी

अज्ञानान्धमबान्धवं कवलितं रक्षोभिरक्षाभिधैः 
क्षिप्त मोहमदान्धकूपकुहरे दुर्हद्भिराभ्यन्तरः। 
क्रन्दन्तं शरणागतं गतधृति सर्वापदामास्पदं 
मा मा मुञ्च महेश पेशलदृशा सत्रासमाश्वासय॥१०॥
 मैं अज्ञानसे अन्धा हो रहा हूँ, बन्धुविहीन हूँ, इन्द्रियरूप राक्षसोंसे भक्षित हो रहा हूँ, अपने आन्तरिक शत्रुओंद्वारा मोह और मदरूप अन्धकृपमें डाल दिया गया हूँ; ऐसे आपत्तिग्रस्त, अधीर, शरणागत और रोते हुए मुझको, हे महेश्वर ! मत भुलाओ, शीघ्र ही अपनी सुकोमल कृपादृष्टि से मुझ भयभीतको ढाढस बँधाओ ।। १० ॥ 

shiva slokas in sanskrit lyrics

कदा वाराणस्याममरतटिनीरोधसि वसन 
वसानः कौपीनं शिरसि निदधानोऽञ्जलिपुटम्। 
अये गौरीनाथ त्रिपुरहर शम्भो त्रिनयन 
प्रसीदेत्याक्रोशन् निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्॥११॥
काशीपुरीमें देवनदी श्रीगङ्गाजीके तट पर निवास करता हुआ, कौपीनमात्र धारण किये, अपने मस्तकपर अञ्जलि बाँध करके, " हे गौरीनाथ ! त्रिपुरारि त्रिनयन शम्भो !! प्रसन्न होइये'- ऐसा कहते हुए, मैं अपने दिनोंको क्षणके समान कब बिताऊँगा? ॥१११ ।।

shiva slokas in sanskrit lyrics

कदा वाराणस्यां विमलतटिनीतीरपुलिने
चरन्तं भूतेशं गणपतिभवान्यादिसहितम्। 
अये शम्भो स्वामिन् मधुरडमरूवादन विभो
प्रसीदेत्याक्रोशन् निमिषमिव नेष्यामि दिवसान्॥१२॥
काशीजीमें श्रीगङ्गाजीके परम पवित्र तीरपर, गौरी और गणेश आदिसहित घूमते हुए भगवान् भूतनाथको ‘हे शम्भो! हे स्वामिन ! हे मधुर-मधुर डमरू बजानेवाले सर्वव्यापक प्रभो! प्रसन्न होइये'- ऐसा कहते हुए अपने दिनोंको क्षणके समान कब बिताऊँगा? ॥ १२ ॥ 

rudra mantra lyrics in sanskrit


कल्पान्तक्रूरकेलिः क्रतुकदनकरः कुन्दकर्पूरकान्तिः 
क्रीडन्कैलासकूटे कलितकुमुदिनीकामुकः कान्तकायः। 
कङ्कालक्रीडनोत्कः कलितकलकल: कालकालीकलत्रः 
कालिन्दीकालकण्ठः कलयतु कुशलं कोऽपि कापालिकः कौ॥१३॥ 
कल्पान्त ही जिनकी दुर्ललित लीला है, जो दक्षयज्ञको विध्वंस करनेवाले हैं, जिनके शरीरकी कुन्द या कर्पूरकी-सी कान्ति है, जो कैलासपर्वतके शिखरपर क्रीड़ा कर रहे हैं, चन्द्रकलाको धारण करनेवाले, कान्तिमय शरीरधारी हैं, कङ्कालोंसे क्रीड़ा करने में उत्सुक हैं, कलकलध्वनि करनेवाले, कालरूप और कालीकान्त हैं तथा कालिन्दी (यमुनाजी) के समान जिनका श्यामल कण्ठ है, वे कोई कपालमालाधारी कापालिक इस पृथिवीतलपर हमारी कुशल करें ॥ १३॥ 

rudra mantra lyrics in sanskrit

स्फुरत्स्फारज्योत्स्नाधवलिततले क्वापि पुलिने 
सुखासीनाः शान्तध्वनिषु शान्तध्वनिषु रजनीषु धुसरितः।
भवाभोगोद्विग्नाः शिव शिव शिवेत्यार्तवचसा 
कदा स्यामानन्दोद्गतबहुलबाष्पाप्लुतदृशः॥१४॥ 
नि:शब्द रात्रिके समय चारु चन्द्रिकासे धोये हुए श्रीजाह्नवीके धवल तटपर सुखपूर्वक बैठे हुए, सांसारिक सुखोंसे सन्तप्त होकर दीनवाणीसे 'शिव! शिव !! शिव !!!'- ऐसा कहते हुए आनन्दोद्गत प्रचुर प्रेमाश्रुओंसे मेरे नेत्र कब भरेंगे? ॥ १४ ॥

rudra mantra lyrics in sanskrit

यस्ते ददाति रवमस्य ददासि वरं
यो वा मदं वहति दमं विधत्से।

इत्यक्षरद्वयविपर्ययकेलिशील 
किं नाम कुर्वति नमो न मनः करोषि ॥१५॥
 (हे शङ्कर!) जो तुम्हें रव देता (स्तुति करता) है, उसे तुम (रवका उलटा) वर देते हो; जो (मूर्ख आपके सम्मुख) मद प्रकट करता है, उसकी खबर आप दम (दण्ड, मदका उलटा दम) से लेते हैं;इस प्रकार अक्षरद्वयको उलट-फेर करनेका खेल आपको बहुत ही पसंद है ! तो फिर मेरे नम: कहनेपर ( मेरी तरफ नम:का उलटा) अपना मन क्यों नहीं फेरते? ॥ १५ ॥

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