F त्राता यत्र न कश्चिदस्ति विषमे shiva slokas in sanskrit lyrics - bhagwat kathanak
त्राता यत्र न कश्चिदस्ति विषमे shiva slokas in sanskrit lyrics

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त्राता यत्र न कश्चिदस्ति विषमे shiva slokas in sanskrit lyrics

त्राता यत्र न कश्चिदस्ति विषमे shiva slokas in sanskrit lyrics

 त्राता यत्र न कश्चिदस्ति विषमे shiva slokas in sanskrit lyrics

त्राता यत्र न कश्चिदस्ति विषमे shiva slokas in sanskrit lyrics

त्राता यत्र न कश्चिदस्ति विषमे तत्र प्रहर्तुं पथि 
द्रोग्धारो यदि जाग्रति प्रतिविधि: कस्तत्र शक्यक्रियः। । 
यत्र त्वं करुणार्णवत्रिभुवनत्राणप्रवीण: प्रभु
स्तत्रापि प्रहरन्ति चेत् परिभवः कस्यैष गर्दावहः॥ ९ ॥
जिस भयंकर मार्ग में कोई रक्षक नहीं, उसमें यदि शत्रु सताने को तैयार हो तो वहाँ उनका क्या प्रतिकार किया जा सकता है? पर जहाँपर आप जैसे दयासिन्धु त्रैलोक्यकी रक्षा करने में कुशल स्वामी विराजमान हैं, वहाँपर यदि वे (काम-क्रोधादि शत्रु) प्रहार करें तो यह किसकी निन्दा और अपमान है ? ।। ९ ।।

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