2500किलोमीटर चलकर श्री जगन्नाथ जी के दर्शन
श्री राम शरण जी महाराज, श्री धाम अयोध्या जी।
मोबाइल– 9657752111 / 9975219140
-----गोमुख से लाये हैं गंगाजल, रामेस्वरम जी को चढ़ाने के लिए, परीक्षा लिए जगन्नाथ जी.----------------------पुरी 6/2--गंगोत्री से 20किलोमीटर दूर गंगाजी की उत्पति स्थल गोमुख से आये थे साधु।
खाली पैर चार महीने हुए अकेले चल रहे हैं साथी है केबल एक लाठी।कंधे पर एक झोला, हाथ मैं मोबाईल, आगे चलने की ठाट जो देखे बो रास्ता छोड़ दे, प्रायः अढ़ाई हजार किलोमीटर झाड, जंगल रास्ता पार करके पहुँचे हैं श्री जगन्नाथ जी के खेत्र मैं।
जगन्नाथ जी के दर्सन पा कर घंटों उनके ध्यान करके खुद को धन्य महसूस किआ ओर तीन महीने चलने के बाद पहुंचेंगे रामेस्वरम।
साथ मैं लाये गंगाजल श्री रामेस्वरम जी को चढ़ाने के बाद यात्रा पूर्ण करेंगे कहा है साधु राम सरण जी।
महाप्रभु जी के महात्माय बोलते समय उनके आँखों से अश्रु झर रहे थे। मुख पर अद्भुत तेज था, भगवान जी के द्वारा ली गई परीक्षा से बे बहुत आनंदित थे ।
22तारीख को पुरी मैं पहुंचने के बाद चार दिन तक ठाकुर जी के कब दर्सन होगा इंतिजार मैं रहे, लेकिन दर्सन ना मिलने पर 27तारीख को वापस चले गए, तीन दिन चलने के बाद सम्बलपुर के एक मित्र से फ़ोन के माध्यम से पता चला की जगन्नाथ जी के दर्सन मिल रहा है।
उसी समय वे खोर्धा ज़िल्ले के एक गांव मैं बिश्राम कर रहे थे। वहाँ से दो दिन मैं चलकर फिर आकर पहुँचे श्री खेत्र मैं, चार दिन तक तीन, चार बार ठाकुर जी के दर्सन करके महाप्रसाद सेवन करके कृपा लाभ उठाए।
जगन्नाथ जी के ऐसे लीला उनके जीबन मैं यादगार बनके रहेगा कहते हैं राम सरण। उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, पार करके ओड़िसा सीमा मै प्रबेश करके श्री खेत्र पहुंचे हैं।
आँध्रप्रदेश और तमिलनाडु होकर रामेस्वरम पर पदयात्रा समाप्त होगा।
उम्र केवल 32। नाम है राम देसमुख, घर महाराष्ट्र, सीरिड़ी निकट अहमदनगर।10साल पहले घर छोड़ कर 2012मैं अयोध्या जी से दिख्या लिए थे।
उसके बाद आश्रम का नाम हुआ राम सरण, दसवीं कख्या तक पढ़े हैं। महात्मा जी के द्वारा दिखाई गई रास्ते पर अक्रूस्ट हैं। रामेस्वरम मैं गंगाजल चढ़ाने का बिधि है।
इसलिए सनातनी परंपरा के अनुगामी बन गए। यात्रा के समय कोई कोई भोजन का प्रबंध करदेते थे नहीं तो खरीद कर प्रसाद ग्रहण करते थे, ओड़िशा मैं खूब मेहमान नवाजी मिला है कहते हैं राम सरण जी............
*।।जय जय रघुवीर समर्थ।।*
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*श्री राम शरण जी महाराज*
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