F छिति जल पावक गगन समीरा का अर्थ क्या है- - bhagwat kathanak
छिति जल पावक गगन समीरा का अर्थ क्या है-

bhagwat katha sikhe

छिति जल पावक गगन समीरा का अर्थ क्या है-

छिति जल पावक गगन समीरा का अर्थ क्या है-

 छिति जल पावक गगन समीरा का अर्थ क्या है- 

शरीरकी मात्र संसारके साथ एकता है। जिन पाँच तत्त्वोंसे यह संसार बना है। उन्हीं पाँच तत्त्वोंसे यह शरीर बना है-

छिति जल पावक गगन समीरा । पंच रचित अति अधम सरीरा ।।
(मानस ४।११।२)। 

शरीर हमें संसारकी सेवाके लिये मिला है, अपने लिये नहीं। हमारेको शरीर क्या निहाल करेगा? शरीर हमारे क्या काम आयेगा? शरीरको अपना और अपने लिये न मानकर प्रत्युत संसारका और संसारके लिये ही मानकर उसको संसारकी सेवामें लगा दें—यही हमारे काम आयेगा।

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