भागवत सप्ताहिक कथा में किस दिन कितनी कथा करें पौराणिक मत के अनुसार-bhagwat katha kram mein
सप्ताह कथा प्रथम दिवस
महात्म्य से लेकर तृतीय स्कन्ध के कर्दम देवहूति विवाह पर्यंत तक कथा करने का नियम है।
सप्ताह कथा द्वितीय दिवस
कपिल देवहूति संवाद से लेकर पंचम स्कंध के जड़ भरत उपाख्यान तक द्वितीय दिवस में कथा करने का नियम है।
सप्ताह कथा तृतीय दिवस
पंचम स्कंध में भारतवर्ष की महिमा से लेकर नारद जी द्वारा धर्मराज युधिष्ठिर को गृहस्थ धर्म का उपदेश यानी संपूर्ण सप्तम स्कंध तक।
सप्ताह कथा चतुर्थ दिवस
अष्टम स्कंध आरंभ से लेकर दशम स्कंध के कृष्ण जन्म तक की कथा कहना चाहिए।
सप्ताह कथा पंचम दिवस
दशम स्कंध के पूतना उद्धार से लेकर दशम स्कंध के उत्तरार्ध रुकमणी विवाह तक की कथा।
सप्ताह कथा षष्ठम् दिवस
दशम स्कंध के प्रद्युम्न के जन्म की कथा से लेकर एकादश स्कंध के श्री कृष्ण द्वारा उद्धव से हंसावतार की महिमा का गान तक।
सप्ताह कथा सप्तम दिवस
एकादश स्कंध के वर्ण और आश्रम धर्म की व्यवस्था से लेकर द्वादश स्कंध सहित स्कंद पुराण अंतर्गत महात्म्य की महिमा के वर्णन तक।
लेकिन देखा जाता है सामान्यतः प्रवक्ता लोग इस क्रम से भी कथा बोलते या कहते हैं-
प्रथम दिन- महात्म्य की कथा और प्रथम स्कंध के मंगलाचरण की व्याख्या तक।
द्वितीय दिन- प्रथम स्कंध, द्वितीय स्कंध, तृतीय स्कंध तक ।
तृतीय दिन- चतुर्थ, पंचम, षष्ठम् तक ।
चतुर्थ दिन- सप्तम, अष्टम, नवम, दशम के कृष्ण जन्म तक।
पंचम दिन- दशम के पूतना वध से लेकर गोवर्धन लीला तक।
षष्ठम् दिन- दशम के महारास से लेकर रुकमणी विवाह तक।
सप्तम दिन- दशम के प्रद्युम्न जन्म से लेकर एकादश, द्वादश संपूर्ण।