अमृत है हरी नाम छोड amrit hai hari naam jagat me lyrics
अमृत है हरी नाम छोड
अमृत है हरी नाम जगत में छोड़ विषय विश पीना क्या
हरी नाम नही तो जीना क्या
काल
सदा अपने रस डोले, न जाने कब सिर चढ़ बोले
हरी
का नाम जपो निश वासर, अगले समय समय ही ना। हरी नाम...
भूषण से सव अंग सजावे पर रसना पे हरी नाम ना लावे
देह पडी रह जावे यही पर फिर कुण्डल और नगीना क्या । हरी नाम...
तीरथ
है हरी नाम तुम्हारा, फिर क्यो फिरता मारा मारा
अन्त
समय हरि नाम न आवे, फिर काशी और मदीना क्या । हरी नाम...