F मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा mai bahar nahi aauga - bhagwat kathanak
मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा mai bahar nahi aauga

bhagwat katha sikhe

मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा mai bahar nahi aauga

मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा mai bahar nahi aauga

 मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा mai bahar nahi aauga

मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा

मैं तो वाहर नही तात आऊँगा, गर्भ में रहकर हरी गुण गाऊगा

चाहे सुख में रहूं, चाहे दुख में रहूं, चाहे नरकों की सब यातनायें सहूं

में तो यही रहके प्रभु को रिझाउगा। गर्भ....

चल रही मोह ममता भयंकर यहां, काम व्यापार चलता निरन्तर यहां

चैन सपने में भी नही पाऊगा। गर्भ.....

मुझको मुनिवर न वाहर बुलाना कभी, ना दे झूठे वादे बुलाये कभी

में तो गिरधर प्रभु की शरण जाऊगा। गर्भ.....

मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा mai bahar nahi aauga

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 मैं तो बाहर नहीं तात आऊँगा mai bahar nahi aauga

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