चारौ धामों से निराला ब्रज charo dham se nirala braj
चारौ धामों से निराला ब्रज
व्रज चौरासी कोस की परिक्रमा एक देत ।
तो लख चौरासी यौनि के संकट हरी हर लेत
॥
जय जय व्रज भूमि जय जय व्रज भूमि
चारौ धामों से निराला व्रज धाम के
दर्शन कर लेऔ जी
होऽऽ दर्शन कर लेओं सुमिरन कर लेओ, वन्दन कर लेओ जी
लेके राधा जी बिहार जी कौ नाम कि दर्शन
कर लेओ जी
ये है मथुर नगरिया जय बोलो, यहां जन्मे सवरिया जय बोलो
होऽऽ आठें आधी रात जनम प्रभु लीनौ, सुर नर मुनिजन चित सुख दीनौ
ऐ वचन दियो सो प्रभु पूरण कीनौ,
श्रीविष्णु वने जी घनश्याम के दर्शन कर लेओ जी
। चारौ धामों .....
कान्हा मथुरा ते आयो गोकुल में, ऐ माखन चोर कहायो गोकुल में
ऐ माखन खायौ याने माटी हू खाई, पकड्यो यशोदा ने तो दीनी सफाई
मैया मोरी कसम तोरी में नही माखन खायौ, मुख मै दियौ ब्रह्माण्ड दिखाय
ऐसे मोहन को सहस प्रणाम के दर्शन कर लो
जी । चारौ धामों...
बरसाने की राधा राधा राधा बोल, जिसने मोहन को वाधा राधा राधा बोल
होऽऽ होरी खेले तो आजा कृष्ण मुरारी, बरसाने में बुलावै राधा प्यारी
कान्हा बरसाने में आ जइयो बुलाय गई राधा प्यारी,
बुलाय गई राधा प्यारी बुलाय गई राधा प्यारी, दोनों एक दूजे के प्रेम पुजारी
दोउ मिलके भयो जी इक नाम के दर्शन कर लो जी ।
चारौ धामों...
व्रज वरषा ने घेरा श्याम श्याम श्याम, सवने श्याम को टेरा श्याम श्याम श्याम
अव तुम विन हमरी कौन खबर ले गोवर्धन
गिरधारी
हो गोवरधन उँगली पे उठायों प्राणन ते
प्यारों व्रज डूबत बचायौ
कंस मार यह भेद बतायो
जैसी करनी वैसौ ही परिणाम के दर्शन कर
लो जी चारौ धामों...
वृन्दावन सुहावन क्या कहिये भयो प्रेम सों पावन
क्या कहिये
हो बाँके बिहारी कहूं कुञ्ज बिहारी स्वामी
हरिदास जी पै बलिहारी
अजहू रचावै यहां रास मुरारी,
कुञ्जन की छटा अभिराम के दर्शन कर लो जी । चारौ
धामों....
वंशी वट स्वागत करै तो जमुना देत अशीश
सवै भूमि गोपाल की कहु नवाओं शीश
साधू संतन की भूमी ब्रज भूमि, जाए नैनन से चूमीव्रजभूमि
हो सूरदास प्रभु भक्ति में लगे कवि
रसखान ब्रज अनुरागे
हरि रस रांची मीरा सब रस त्यागे जो
निहारे सो विके जी विन दाम
के दर्शन कर लो जी | चारौ धामौ....
जय व्रज भूमि जय व्रज भूमि