F आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज: जीवन परिचय - bhagwat kathanak
आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज: जीवन परिचय

bhagwat katha sikhe

आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज: जीवन परिचय

आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज: जीवन परिचय

आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज: जीवन परिचय

आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज: जीवन परिचय

आचार्य शिवम् मिश्र जी महाराज एक सुप्रसिद्ध कथावाचक और प्रशिक्षक हैं, जिन्होंने अपनी मधुर वाणी और भक्ति भाव से लाखों लोगों के हृदय में स्थान बनाया है। उनका जन्म मध्य प्रदेश के सतना जिले की बिरसिंहपुर तहसील के बमुरहा ग्राम में हुआ। उनके पिता श्री धीरज प्रसाद मिश्रा और माता श्रीमती सीता मिश्रा एक साधारण परिवार से हैं, जिन्होंने अपने पुत्र को संस्कारों और धर्म के प्रति समर्पण की शिक्षा दी। आचार्य जी के जीवन पर सबसे गहरा प्रभाव उनकी दादी माँ, श्रीमती सुंदर वती मिश्रा का रहा, जो भगवान की अनन्य भक्त थीं। दादी माँ का जीवन भक्ति और पूजा-पाठ में समर्पित था, और उन्होंने आचार्य जी को बचपन से ही आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

आचार्य शिवम् मिश्र जी का बचपन बमुरहा ग्राम की शांत और धार्मिक वातावरण में बीता। उनकी दादी माँ नियमित रूप से रामायण, गीता, और श्रीमद् भागवत महापुराण का पाठ करती थीं। साथ ही, वे लड्डू गोपाल, लक्ष्मी-नारायण, और भगवान शंकर के विग्रह की सेवा करती थीं। इस भक्ति-भाव ने बालक शिवम् के मन पर गहरा प्रभाव डाला। दादी माँ की भक्ति और उनके द्वारा किए गए स्तोत्र पाठ ने आचार्य जी को आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित किया। यह उनके जीवन का आधार बना, जिसने उन्हें भगवत कथा के प्रचार-प्रसार और प्रशिक्षण के क्षेत्र में एक प्रख्यात व्यक्तित्व बनाया।

आचार्य शिवम् मिश्र जी ने अपनी शिक्षा के साथ-साथ धार्मिक ग्रंथों का गहन अध्ययन किया। उनकी वाणी में मधुरता और प्रवचनों में गहराई ने उन्हें एक उत्कृष्ट कथावाचक के रूप में स्थापित किया। वे श्रीमद् भागवत महापुराण की कथाओं को सरल और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करते हैं, जिससे श्रोता भक्ति के रस में डूब जाते हैं। इसके अतिरिक्त, वे छात्रों को भागवत कथा वाचन की शिक्षा भी प्रदान करते हैं, जिससे नई पीढ़ी को सनातन धर्म और संस्कृति के प्रति जागरूक किया जा सके। उनकी कथाएँ न केवल धार्मिक ज्ञान प्रदान करती हैं, बल्कि नैतिकता और जीवन मूल्यों को भी प्रोत्साहित करती हैं।

आचार्य जी का जीवन सादगी, समर्पण, और भक्ति का प्रतीक है। वे अपनी कथाओं के माध्यम से समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का प्रयास करते हैं। उनकी शिक्षाएँ लोगों को भगवत भक्ति के साथ-साथ सामाजिक एकता और नैतिकता की ओर प्रेरित करती हैं। बमुरहा जैसे छोटे से गाँव से निकलकर, आचार्य शिवम् मिश्र जी ने अपने कार्यों से देशभर में ख्याति अर्जित की है। उनकी भक्ति और समर्पण की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो आध्यात्मिकता और समाज सेवा के मार्ग पर चलना चाहता है।

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