[ श्री जसु स्वामी जी ]
गंगा और यमुना के बीच के देश में श्री जसु स्वामी नाम के एक भक्त रहते थे, वे प्रेम पूर्वक सदा साधु सेवा किया करते थे और उसके लिए खेती करके अन्न पैदा कर लिया करते थे | एक बार बृजवासी चोरों ने इनके बैल चुरा लिये, परंतु इन्हें यह बात मालूम ही नहीं हुई क्योंकि उसी प्रकार के बल श्री श्याम सुंदर ने दे दिए यह बैल पहले बैलों की अपेक्षा बहुत ही अच्छी प्रकार से हल में जुतकर चलते थे , क्योंकि दिव्य थे |अतः स्वामी जी को बहुत ही प्यारे लगते थे |
एक वर्ष बाद एक दिन वे ही बृजवासी आश्रम के निकट होकर निकले और बैलों को देख कर मन ही मन कहने लगे कि इन्हें यहां कौन लाया | उन्होंने घर जाकर देखा तो वहां पर बैल थे, आश्रम में आए तो वहां भी देखते हैं, ऐसे दो बार चक्कर लगाने पर भी वे लोग वास्तविक्ता का निर्णय ना कर सके |अन्तिम में उन्होंने स्वामी जी से पूछा , तब उन्हें मालूम पड़ा कि हम भी ले गए और वहां भी वैसे ही बैल काम कर रहे हैं | चार लोग घर से उन बैलों को ले आए उनके आते ही आश्रम के बैल अन्तर्ध्यान हो गए |उन चोरों ने श्री जसु स्वामी का यह बड़ा भारी प्रभाव देखा
कि इन्हें वैसे ही बैल देकर प्रभु ने चिंता से बचाया, उनके मन में स्वामीजी के प्रति प्रेमभाव हो गया | जाकर उनके चरणों में पड़ गए स्वामी जी ने उनके ह्रदय की सुद्ध अभिलाषा देखी तो द्रवित हो गए ,क्योंकि यह सहज ही दया के सागर थे | इन सब को मंत्र देकर अपना शिष्य बना लिया ,इन्होंने भी चोरी छोड़ दी और साधु के मार्ग पर चलने लगे | साधु सेवा के लिए दूध और दही देकर साधुओं की सेवा करने लगे,सेवा करके कृतार्थ हो गए |
[श्री नंद दास जी वैष्णव सेवी]
बरेली के निकट हवेली नामक एक गांव है उसमें भगवान के भक्त श्री नंद दास जी नामक एक ब्राह्मण निवास करते थे | यह साधु सेवा के बड़े प्रेमी थे इससे इसी से एक उसी गांव का ब्राम्हण इनसे बड़ा भारी द्वेष रखता था , उसने एक बार एक मरी हुई बछिया लाकर श्री नंद दास जी के खेत में डाल दी और इन्हें गाली देने लगा सर्वत्र यह प्रचार करने लगा कि नंद दास जी ने अपने खेत में चरती की बछिया को मार डाला है |