✳ श्री राम कथा ✳
बाल्मीकि रामायण का यह पहला श्लोक उत्तम श्लोक तक पहुंचाने के लिए था | उत्तम श्लोक कौन हैं ? तो रामजी को वेदव्यास जी ने भागवत में उत्तम श्लोक कहा है-- उत्तमश्लोकायउत्तमैः श्रेष्ठ जनै: गीयते इति उत्तम श्लोकः |
श्रेष्ठ जनों के द्वारा जिसके चरित्र का गान होता है उसको उत्तमश्लोक कहते हैं | मतलब कोई इस श्लोक का आश्रय ले तो उत्तम श्लोक भगवान श्रीराम को प्राप्त कर लेगा |देखिए काव्य का प्रकटीकरण या कविता का प्रकटीकरण प्रयास से नहीं होता कुछ लोग रात रात भर डायरी और कलम लेकर बैठे रहते हैं और एक पंक्ति नहीं लिख पाते , जहां श्रम करना पड़े मेहनत करना पड़े वह काव्य नहीं हो सकता | जो सहसा प्रगट , अकस्मात प्रगट हो, स्वतः प्रगट हो वही कविता या काव्य होता है | जो सयास ना हो अनायास हो ,जो सप्रयास ना हो वह काव्य है |और शोक प्रकट हुआ-
मानसादप्रतिष्ठां त्वमगमः शास्वतीसमा |
यत् क्रौन्च मिथुनादेकं अवधीकाममोहितम् ||
मानसाद प्रतिष्ठां अरे निषाद, अरे बहेलिया, अरे क्रूर तू अनंत काल तक प्रतिष्ठा को प्राप्त नहीं करेगा , क्योंकि तुमने प्रेमालाप करते समय मिथुनावस्था में तुमने नर क्रौंच को मार गिराया है |बोलिए श्री राघवेंद्र सरकार की जय
पीड़ा का काव्य प्रगट जैसे आजकल उर्दू का एक बिधा है उसको ग़ज़ल कहते हैं, तो यह जो ग़ज़ल शब्द है ना गजाला से बनता है | गजाला कहते हैं, मृगी को | हरिणी के आगें खाई हो पीछे सिंह हो और उसके आंखों में जो दर्द पैदा हो जो टीस पैदा हो उसी को कहते हैं गजल | तो कोई भी काव्य , कोई भी गीत, कोई भी गजल बिना पीड़ा के, बिना वेदना के प्रकट नहीं हो सकता | और
दुनिया का प्रथम श्लोक भी पीडा से ही प्रकट हुआ
और बाल्मीकि रामायण की कथा की उपलब्धि भी यही है कि वह हमारे हृदय में वेदना का प्रकटीकरण कर दे |अरे बहेलिए तू कभी प्रतिष्ठा नहीं पाएगा क्योंकि दो प्रेमियों को अलग करना यह बहुत बड़ा दोष , पाप माना गया है | हमारे आचार्यों ने कहा दुनिया का प्रथम श्लोक शापात्मक नहीं हो सकता |
यह तो मंगलाचरणात्मक होना चाहिए ? और इसका अर्थ बदल दिया मंगलाचरण तीन प्रकार के होते हैं- नमस्कारात्मक, आशीर्वादात्मक, वस्तुनिर्देशात्मक | अर्थ कैसे बदला फिर आचार्यों की वाणी सुनें- उनका भाव,, मां शब्द जो है यह अमरकोश में मा लक्ष्मी का पर्यायवाची है |
इंदिरा लोकमाता माक्षिरोद तनया रमा |
मा कहते हैं लक्ष्मी जी को और निषाद कहते हैं- सिद् धातु का अर्थ होता है बैठना, ( सीदति ) माने जो पास में बैठता है, अथवा निषाद का अर्थ निवास भी होता है | मा माने इंदिरा यानी लक्ष्मी जी और लक्ष्मी जी ही रामावतार में सीता जी के रूप में आई , तो मां शब्द सीता जी का उपलक्षण है |तो अर्थ हुआ मानसाद माने, हे राम जी, हे सीता जी के पास में बैठने वाले , या हे सीता निवास, हे जानकी निवास, हे रघुनंदन | अब अर्थ बदल गया जो मां का अर्थ निषेधात्मक था वह नहीं रहा, ( ना मांङ्ग योगे ) व्याकरण में अब अर्थ हो गया- हे राम जी आप अनंत काल तक प्रतिष्ठा को प्राप्त करें, क्योंकि आपने- यतक्रौन्च मिथुनादेकं अवधी काम मोहितम् |
देखिए क्रुन्चो धातु व्याकरण में तीन अर्थों में प्रयोग में लाया जाता है
क्रुन्च दति कौटिल्याति भावयोः |
क्रुन्च धातु- दत्यर्थ भी है, क्रुन्च का अर्थ कुटिलता भी है और क्रुन्च का अर्थ अल्पिभाव भी है | तो इस रामायण में भी महाराज युगल क्रौन्च हैं, क्रौन्च माने कुटिल तो आचार्यों ने रावण को ही रामायण का क्रौन्च कहा है | क्योंकि रावण में कुटिलता है , रावण क्रौन्च कहा और मंदोदरी को क्रौन्ची कहा |देखिए रामायण का सबसे बड़ा अपराधी पात्र कौन है ? रावण को अपराधी नहीं माना, रामायण का सबसे बड़ा अपराधी जयंत को माना क्योंकि जयंत ने जानकी जी की अंग पर चन्चुक प्रहार किया जिसकी पर्णति हुई |
चला रुधिर रघुनायक जाना
ऐसा प्रहार किया जानकी जी के शरीर पर गात्र पर की जानकी जी के भीतर से रक्त की धारा फूट पड़ी थी | रावण आहरण भले किया हो जनक नंदिनी का, लेकिन रावण ने किसी अंग प्रत्यङ्ग में चोट पहुंचाने की कुचेष्टा नहीं की | इसलिए- रामायण का सबसे बड़ा अपराधी हमारे आचार्यों ने जयंत को माना है, लेकिन रावण को कुटिल माना- क्योंकि कुटिलता अपराधी से बहुत बड़ी चीज है ,अपराध से बड़ी चीज है कुटिलता |
कैसे ? कहा जयंत को जब कोई गलत कार्य करना हुआ तो जयंत ने कौवे का वेश बनाकर के गलत कार्य को अंजाम दिया, चांडाल पक्षी बनकर आया जयंत | लेकिन रावण ने जब अपहरण जैसा कार्य किया तो रावण ने सन्यासी का भेष बनाकर किया |ध्यान से सुनेंगे गलत व्यक्ति समाज में कोई गलत कार्य करें तो समाज को उतनी पीड़ा नहीं होती , लेकिन जब कोई अच्छा व्यक्ति समाज में गलत कार्य करता है तो समाज को अतिशय पीड़ा होती है | काग बनकर यदि कोई अपराध किया जयंत ने तो समाज को उतनी पीड़ा नहीं हुई, लेकिन रावण ने जब संन्यासी बनकर के अपहरण जैसे गलत कार्य किया उससे समाज को पीड़ा हुई और इसीलिए रावण को कुटिल कहा गया है |