वाणी के भेद,Speech differences
वाणी के भेद तो क्या सभी वाणियोंका अनुसरण सभी कर सकते हैं ?—नहीं, कदापि नहीं । वाणीमें देश, काल, व्यक्ति, प्रसङ्ग, अधिकार, रुचि आदि कारणोंसे भेद होता है । जैसे किसी ठंडे देशमें या मंसूरी, शिमला, नैनीताल आदि स्थानोंमें गरम कपड़ा पहनने-ओढ़ने तथा आग तापनेको कहा जायगा ___ और गरम देशमें गरम कपड़ेका त्याग करके शीतल वायु सेवनकी सलाह दी जायगी। शीत ऋतुमें गरम कपड़ेकी आवश्यकता बतलायी जायगी और ग्रीष्म ऋतुमें शीतल वायुसेवनकी । अतिसारके रोगीको दूधका त्याग करनेको कहा | जायगा और दुर्बल मनुष्यको दूध पीकर पुष्ट होनेका उपदेश दिया जायगा। यों देश-काल-पात्रके अनुसार कथनमें भेद होगा, चाहे कहनेवाला एक ही व्यक्ति हो।
वाणी के भेद,Speech differences
इसी प्रकार गरीब, निर्दोष प्राणीको प्राण-रक्षाके लिये मिथ्याका प्रयोग भी आवश्यक बताया जायगा, पर अन्य सभी समय मिथ्या भाषणको पाप बताया जायगा । भगवान् शङ्करकी पूजाके प्रसङ्गमें धतूरेके फूल चढ़ानेकी विधि बतायी जायगी और भगवान् विष्णुके पूजा-प्रसङ्गमें उसका निषेध किया जायगा। छोटे बच्चेको पाव-आधसेर वजनकी वस्तु उठानेके लिये ही कहा जायगा, पर पहलवानको भारी-से-भारी तौलकी वस्तु उठानेपर शाबाशी दी जायगी। निवृत्तिमार्गी शुकदेव मुनिकी रुचिके अनुसार उनके लिये संन्यासका विधान होगा। पर योद्धा अर्जुनको भगवान् रणाङ्गममें जूझनेका ही उपदेश देंगे। इस प्रकार प्रसङ्ग, अधिकार और रुचिके अनुसार कथनमें भेद होगा। कोमल सौम्य प्रकृतिका साधक सौन्दर्यमाधुर्य-निधि वृन्दावनविहारी मुरली-मनोहरकी उपासनामें रस प्राप्त करेगा और कठोर क्रूर वृत्तिवालेको नृसिंहदेव, काली या छिन्नमस्ताकी उपासना उपयुक्त होगी। इसलिये संतकी सभी वाणी सभीके लिये समान उपयोगी नहीं हुआ करती।
वाणी के भेद,Speech differences
अपनी रुचि और अधिकारके अनुसार ही चुनाव करना उचित है। तथापि, दैवी सम्पत्तिके गुण, उत्तम और उज्ज्वल चरित्र, यम-नियम, भगवान्की ओर अभिरुचि, विषय-वैराग्य और साधनमें उत्साह आदि कुछ ऐसे भाव, विचार और गुण हैं जो सभीमें होने चाहिये और ऐसी सभी संत वाणियोंका अनुसरण सभीको करना चाहिये ।