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hindi story,कहानी-1-जीवन में हमें किसी भी वस्तु का अभिमान और अहंकार नहीं करना चाहिए

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hindi story,कहानी-1-जीवन में हमें किसी भी वस्तु का अभिमान और अहंकार नहीं करना चाहिए

hindi story,कहानी-1-जीवन में हमें किसी भी वस्तु का अभिमान और अहंकार नहीं करना चाहिए
#कहानी-1
जीवन में हमें किसी भी वस्तु का अभिमान और अहंकार नहीं करना चाहिए 
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आप सभी का स्वागत है भागवत कथानक वेबसाइट पर, आज हम आप के साथ एक नयी कहानी के साथ आप लोगों के समक्ष उपस्थित हुए हैं | इस कहानी का शीर्षक है➡ किसी भी वस्तु का हमें अहंकार नहीं करना चाहिए ! तो मित्रों आइए इस कहानी को हम शुरू करते हैं- इस पृथ्वी पर बड़े-बड़े दिग्विजयी सम्राट राजा हुए जिन्होंने अपने आप को अमर घोषित कर दिया लेकिन उन्हें भी काल के गाल में जाना पड़ा, तो यह बात सत्य है कि जो इस संसार में आया है उसे तो जाना ही होगा तो फिर बुद्धिमानी यही है कि हम सब भाईचारा को निभाते हुए सत्य और धर्म से जीवन यापन करें | आप के समक्ष हम ऐसे ही एक अहंकारी अभिमानी राजा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे आप सब जानते हैं लंकापतिरावण, रावण बहुत प्रतापी राजा था उसके दस सिर और बीस हाथ थे, जब वह चलता था तो पृथ्वी कांपती थी, उसकी सेना के जो राक्षस थे वह देवताओं के लिए भी अजेय थे, उसका भाई कुंभकरण उस महाकाय को देखकर सृष्टिकर्ता ब्रह्माजी भी चिन्तित हो उठे थे | राक्षस राज का पुत्र मेघनाद- युद्ध में इंद्र को उसने बंदी बना लिया था, स्वयं रावण की शक्ति बहुत विशाल थी भगवान शंकर के महा पर्वत कैलाश को उसने अपने हाथ के ऊपर उठा लिया था वह, वायु देवता उसके यहां साफ सफाई स्वच्छता का ध्यान रखते थे और रावण को पंखा किया करते थे , अग्नि देवता उसके यहां भोजन पकाते थे , वरुण उनके यहां जल भरते थे , सभी लोकपाल उसके दरबार में हाथ जोड़कर खड़े रहते थे, स्वयं मृत्यु देवता रावण के कारागार में बंदी हो गए थे |लेकिन यह मृत्यु देवता हैं कोई सदा के लिए इन्हें बंदी नहीं बना सकता |
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 रावण का इतना प्रताप कि उसके हुंकार मात्र से स्वर्ग तक  हिल जाता था | लेकिन रावण को भी मरना पड़ा एक दिन वही रावण- त्रिभुवन को रुलाने वाला परम प्रतापी रावण एक दिन राम के हाथों मारा गया , दसों मस्तक उसके कटकर जमीन पर पड़े थे , बीसों भुजाएं कटी जमीन पर पड़ी थी | मृत्यु ने रावण का सारा गर्व समाप्त कर दिया, रक्त मांस से पटी भूमि पर राक्षस राज का छिन्नमस्तक पड़ा था |कहते हैं ना कि सत्य की हमेशा विजय होती है और अधर्म का नाश होता है , तो इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें कभी भी हमे अपने सुंदरता, धन, बल, ऐश्वर्य का अभिमान या अहंकार नहीं करना चाहिए, सदैव हर इंसान से प्रेम का नाता रखते हुए जीवन को जीना चाहिए | आपको यह कहानी कैसी लगी हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं नीचे दिए गए शेयर बटनों के माध्यम से आप इसे अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं |

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