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गंगासागर तीर्थ का महत्व | Significance of Gangasagar/गंगा सागर का महत्व क्या है

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गंगासागर तीर्थ का महत्व | Significance of Gangasagar/गंगा सागर का महत्व क्या है

गंगासागर तीर्थ का महत्व | Significance of Gangasagar/गंगा सागर का महत्व क्या है
॥ श्री कपिलमुनि देवाय नमः
गंगासागर तीर्थ का महत्व  
Significance of Gangasagar
सर्व तीर्थेषु यत् पुण्यम् सर्वदानेषु यत् भवेत् 
लभते पुरुषः सर्वेम् स्नात्वा सागर संगमे।
बगाल के सुदुर दक्षिणी छोर पर विश्वविख्यात सुन्दर बन है। सागर द्वीप उसी सुन्दर बन का एक महत्वपूर्ण भाग है। यों कहे सागर द्वीप सुन्दर बन के द्वीपों में अनुठा है। यह द्वीप 30 किलोमीटर लम्बा और औसत 10-12 किलोमीटर चौड़ा है। यह द्वीप एक अत्यंत प्राचीन द्वीप है। यह द्वीप लगभग पाँच हजार वर्ष पुराना है। पुरातत्ववेत्ताओं का कहना है कि आज से लगभग 12,100 वर्ष पहले आज का कोलकाता विशाल समुद्र के गर्भ में था। ऐसा अनुमान है, समुद्र दक्षिण की ओर धीरेधीरे बढ़ता गया और कोलकाता, दक्षिण 24-परगना धीरे-धीरे ऊपर आये सागर द्वीप उसी प्रक्रिया का एक अंग है। आदिकाल से सागर द्वीप पौराणिक तथ्यों से परिपूर्ण रहा है। सागरद्वीप के दक्षिण में विशाल जलनिधि किल्लोल करते रहतें है। रूपहले बालु के कणो पर सुन्दर, सुविख्यात और प्राचीन महामुनि कपिल का मन्दिर अवस्थित है। इस मन्दिर के गर्भगृह में विशाल सिन्दुर राग रंजित महामुनि कपिल की मुर्ति स्थापित है। उनके बाये हाथ में कमण्डल है। जो गंगा का प्रतीक है। बाये हाथ में जपमाला है। जो मोक्ष के लिए कैबल्य का है। मस्तक पर पंचनाग छाया किये है। पाताल लोकन शेषनाग का प्रतीक है। महामुनि कपिल के ठीक दायीऔर भगीरथ को गोद में लिा हुए पतितपावनी चर्तुभुजा गंगा की प्रतिमा स्थापित है, तथा बायी ओर राजा सगर की प्रतिमा विराजमान है।
गंगासागर तीर्थ का महत्व  
Significance of Gangasagar
महामुनि कपिल के पास ही एक सुन्दर आसन पर शालीग्राम विराजमान है जिसे विष्णु मानकर पूजा जाता है। मन्दिर के ठीक दायी ओर पवन पुत्र हनुमान विराजमान है। जिन्हें ग्यारवें रुद्र का स्वरूप माना जाता है। मन्दिर के बायी ओर बनदेवी जिन्हें स्थानीय लोग विशालाक्षी के रूप मे पुजते है। उनकी मुर्ती स्थापित है। साथ ही इन्द्र यज्ञाश्व के साथ विराजमान है। मन्दिर के करीब अनेक आश्रम भी स्थापित हुए है। जिनमें साख्ययोगाचार्य श्रीमत् स्वामी कपिलानन्द आश्रम, साधक श्री श्री सीताराम ओम्कारनाथ आश्रम, नागा संन्यासी पंचमगिरि द्वारा स्थापित देवाधिदेव महादेव चिंताहरणेश्वर मन्दिर, शिवशक्ति महानिर्वाण महाराज द्वारा स्थापित श्रीगुरु रांध, मानव सेवा समिति (हावड़ा), काली मन्दिर, रामकृष्ण मिशन आश्रम, साख्ययोग आश्रम, लोकनाथ मिशन, विश्व हिन्दु परिषद का गंगासागर आश्रम तथा भारत सेवाश्रम संघ का विशाल आश्रम सह यात्री निवास है। । इसके अतिरिक्त, युथहोस्टल विभिन्न सरकारी बंगलो, कलकता बस्त्र व्यवसायी सेवा समिति और श्री कपिलमुनि चैरिटेवुल टस्ट्र का यात्री निवास 'गंगासागर भवन' भी उल्लेखनीय है। प्रति वर्ष पौष संक्रान्ति के अवसर पर विराट मेला लगता है। मेले का आयोजन पश्चिमबंग सरकार की देखरेख में होता है। पौष संक्रान्ति के पावन पर्व पर गंगासागर गंगा और सागर का ही संगम नहीं होता, बल्कि यहाँ समुचे भारतीय संस्कृति, अस्मिता और चिन्तन का संगम होता है। मेला के पावन पर्व पर लाखों की संख्या मे नर-नारी अबाल-बृद्ध सभी उपस्थित होकर मकर स्नान का पूण्य लाभ अर्जन करते है। वर्ष भर जो स्थान निर्जन पड़ा रहता है वह भूमि मह मेला मे परिणत हो जाता है।
गंगासागर तीर्थ का महत्व  
Significance of Gangasagar

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