F anmol vachan अनमोल वचन - bhagwat kathanak
anmol vachan अनमोल वचन

bhagwat katha sikhe

anmol vachan अनमोल वचन

anmol vachan अनमोल वचन

[ मोटिवेशनल इन हिंदी ]

Mug, Motivation, Dream, Dreams, Coffee

वाद विवाद ना करो | जिस प्रकार तुम अपने धर्म और विश्वास पर दृढ़ रहते हो , उसी प्रकार दूसरों को भी अपने धर्म और विश्वास पर दृढ़ रहने का पूरा अवसर दो | केवल वाद-विवाद से तुम दूसरों को उनकी गलती ना समझा सकोगे | परमात्मा की कृपा होने पर ही प्रत्येक मनुष्य अपनी गलती समझेगा |

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एक बार एक महात्मा नगर में से होकर कहीं जा रहे थे, संयोग से उनके पैर से एक दुष्ट आदमी का अंगूठा कुचल गया उसने क्रोधित होकर महात्मा जी को इतना मारा कि वे विचारे मूर्छित होकर जमीन पर गिर पड़े | बहुत दवा दारू करके उनके चेले बड़ी कठिनता से उन्हें होश में लाए तब तो एक चेले ने महात्मा से पूछा , यह कौन आपकी सेवा कर रहा है ? महात्मा ने उत्तर दिया , जिसने मुझे पीटा था | एक सच्चे साधु को मित्र और शत्रु में भेद नहीं मालूम होता |
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यह सच है कि परमात्मा का वास व्याघ्र में भी है, परंतु उसके पास जाना उचित नहीं | उसी प्रकार यह भी ठीक है कि परमात्मा दृष्ट से भी दुष्ट पुरुष में विद्यमान है, परंतु उसका संग करना उचित नहीं |
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एक गुरुजी ने अपने चेले को उपदेश दिया कि संसार में जो कुछ भी है वह सब परमेश्वर ही है | भीतरी मतलब को न समझ कर चेले ने उसका अर्थ अक्षरशः लगाया |  एक समय जब वह मस्त होकर सड़क पर जा रहा था कि सामने से एक हाथी आता दिखलाई पड़ा , महावत ने चिल्लाकर कहा हट जाओ- हट जाओ ,परंतु उस लड़के ने एक न सुनी उसने सोचा कि ईश्वर मैं हूं और हाथी भी ईश्वर है | ईश्वर को ईश्वर से किस बात का डर, इतने में हाथी ने सूंड से एक ऐसी चपेट मारी कि वह एक कोने में जा गिरा | थोड़ी देर बाद किसी प्रकार संभल कर उठा और गुरु के पास जाकर उसने सब हाल सुनाया, गुरु जी ने हंसकर कहा ठीक है तुम ईश्वर हो और हाथी भी ईस्वर है परंतु जो परमात्मा महावत के रूप में हाथी पर बैठा हुआ तुम्हें सावधान कर रहा था, तुमने उसके कहने को क्यों नहीं माना ?
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एक किसान उठ के खेत में दिन भर पानी भरता था, किंतु सायं काल जब देखता तब उसमें पानी का एक बूंद भी दिखलाई नहीं पड़ता था | सब पानी अनेकों छिद्रों द्वारा बह जाता था, उसी प्रकार जो भक्त अपने मन में कीर्ति ,सुख ,संपत्ति ,पदवी आदि विषयों की चिंता करता हुआ ईश्वर की पूजा करता है वह परमार्थ मार्ग में कुछ भी उन्नति नहीं कर सकता | उसकी सारी पूजा वासना रूपी बिलों द्वारा बह जाती है और जन्म भर पूजा करने के अनंतपर वह देखता है कि जैसी हालत मेरी पहले थी वैसी ही अब भी है, उन्नति कुछ नहीं हुई है |
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हरि जब सिंह का चेहरा अपने मुंह में लगा लेता है, तब बड़ा भयंकर दिखलाई पड़ता है उसको लगाए हुए वह अपनी छोटी बहन के पास जाता है और दहाड़ मारकर उसे डराता है | वह घबराकर एकदम जोर से चिल्लाने लगती है और सोचती है कि अरे अब तो मै बाहर भी नहीं जा सकती यह दुष्ट तो मुझे खा ही जाएगा | किंतु हरी जब सिंह का चेहरा उतार डालता है तब वह अपने भाई को पहचान लेती है और उसके पास जाकर प्रेम से कहती है अरे यह तो मेरा प्यारा भाई है | वही दशा संसार के मनुष्यों की भी है वह माया के झूठे जाल मे पडकर घबराते और डरते हैं , किंतु माया के जाल को काटकर जो ब्रह्म के दर्शन कर लेते हैं, उनकी घबराहट और उनका डर छूट जाता है | उनका चित्त शांत हो जाता है और तब परमात्मा को हौवा न समझकर अपनी प्यारी आत्मा समझने लगते हैं |
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पानी और उसका बुलबुला एक ही चीज है , बुलबुला पानी से बनता है और पानी में तैरता है तथा अंत में फूटकर कर पानी में ही मिल जाता है | उसी प्रकार जीवात्मा और परमात्मा एक ही चीज है भेद केवल इतना ही है कि एक छोटा होने से परिमित है और दूसरा अनंत है , एक परतंत्र है और दूसरा स्वतंत्र है |
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रेलगाड़ी का इंजन वेग के साथ चलकर ठिकाने पर अकेला ही नहीं पहुंचता, बल्कि अपने साथ-साथ बहुत से डिब्बों को भी खींच खींचकर पहुंचा देता है | यही हाल अवतारों का भी है पाप के बोझ से दबे हुए अनंत मनुष्यों को ईश्वर के पास पहुंचा देते हैं |
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राजहंस दूध पी लेता है और पानी छोड़ देता है , दूसरे पक्षी ऐसा नहीं कर सकते उसी प्रकार साधारण पुरुष माया के जाल में फंसकर परमात्मा को नहीं देख सकते | केवल परमहंस ही माया को छोड़कर परमात्मा के दर्शन पाकर दैवी सुख का अनुभव करते हैं |
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दूसरों की हत्या करने के लिए तलवार और दूसरों शस्त्रों की आवश्यकता होती है | किंतु अपनी हत्या करने के लिए एक आलपिन ही काफी है, उसी प्रकार दूसरों को उपदेश देने के लिए बहुत से धर्म ग्रंथों और शास्त्रों को पढ़ने की आवश्यकता है | किंतु आत्मज्ञान के लिए एक ही महावाक्य पर दृढ़ विश्वास करना काफी है |
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