धार्मिक कहानियां

धार्मिक कहानियां
 dharmik sachi kahani
सच्चे विश्वास के कारण बूढ़ी माता जी का गंगा नदी को पैदल पार करना |
धार्मिक कहानियां   dharmik sachi kahani
एक गांव में एक वृद्ध माता रहती थी और वह गाय की सेवा करती थी और उसी गाय के दूध को बेचकर वह अपने घर का खर्च चलाती थी उसे दूध बेचने के लिए गंगा नदी के उस पार के गांव में जाना पड़ता था और नदी के उस पार जाने के चार आना और आने का चार आना देती थी और जितना बच जाता उसी से अपना घर चलाती थी , लेकिन वह बूढ़ी माता जी धर्म को मानने वाली थी ब्राह्मण गाय और परमात्मा में उनकी बड़ी श्रद्धा थी |

एक बार वह वृद्ध माता जी दूध बेचकर वापस लौट रही थी मार्ग में एक जगह सत्यनारायण भगवान की कथा हो रही थी वह वृद्ध माता जी भी वहीं कथा सुनने के लिए बैठ गई, उसने भगवान की कथा सुनी कथा के समाप्ति पर ब्राह्मण कथा सुना रहे थे उन्होंने कहा कि जो भी प्राणी प्रेम पूर्वक सत्यनारायण भगवान की कथा श्रवण करता है वह सहज में ही भवसागर से पार हो जाता है |
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अब तो वह माता जी बड़ी प्रसन्न हो गई की कथा सुनने से बहुत बड़ा लाभ हुआ अरे इस कथा को सुनने के बाद सहज में ही जो व्यक्ति भवसागर पार कर सकता है, मैं तो एक छोटी सी नदी को पार करने में आठ आना रोज खर्च करती थी आज से वह बचेगा , और वह माताजी पैदल ही उस नदी को पार कर दिया उसमें वह डूबी नहीं क्योंकि उसका हृदय सच्चा और उसे विश्वास था कथा पर वह विश्वास के ही कारण जल पर पैदल चलकर नदी पार कर आने जाने लगी |

एक दिन वृद्धा माताजी ने विचार किया कि आज मैं उन ब्राह्मण देवता को भोजन के लिए निमंत्रण कर दूं जिनके कारण मेरे आठ आना रोज बचते हैं और बूढ़ी माता जी ब्राह्मण देवता को अपने साथ लेकर आने लगी जिस तरफ नाव लगी थी उस मार्ग की तरफ ना जाकर दूसरी तरफ जा रही थी , पंडित जी ने कहा माताजी उस पार जाने के लिए नाव उस घाट में लगी है, माताजी ने कहा अरे ब्राह्मण देवता आप आइए तो ब्राह्मण देवता विचारे विचार किए कि शायद उसकी स्वयं की  नाव किनारे लगी हो |
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आकर देखे तो आश्चर्य में पड़ गए बोले अरे माताजी हम उस पार कैसे जाएंगे यहां तो कोई नौका नहीं है बूढ़ी माता ने कहा आप आए तो हाथ पढ़कर नदी में जाने लगी वह तो पानी के ऊपर ऊपर चल रही थी और पंडित जी पानी में डूबे जा रहे थे, बूढ़ी माता ने पंडित जी को आज नदी पार कराया, पंडित जी उस पर पहुंचकर कहने लगे माता जी आपने तो आज हमें ऊपर पहुंचा दिया था, आप पानी के ऊपर कैसे चलती हो कहां से यह विद्या सीखी हो , कोई जादू सीखी हो क्या ? माता जी कहने लगी ब्राह्मण देवता आप क्यों अनजान बन रहे हैं अरे आपने ही तो मुझे विद्या बतलाई है, सारी घटना बताई कि आपने कथा के अंत में कहा था कि जो भगवान की कथा श्रवण करता है वह सहज मे हि  भवसागर से पार हो जाता है यह तो नदी है | ब्राह्मण देवता ने उस बूढ़ी मां को प्रणाम किया कहा धन्य हैं आप माता जी आपके अंदर सच्चा विश्वास था और परमात्मा सच्चे विश्वास पर ही रहता है और कृपा करता है |

इस कहानी से हमें यही शिक्षा प्राप्त होती है कि हमें शास्त्रों की बात पर सच्ची लगन और उस पर श्रद्धा विश्वास होना चाहिए |

https://www.bhagwatkathanak.in/p/blog-page_24.html

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