हास्य कहानियां- हास्य कहानी हिंदी

कंजूस सेठ जी की मानसिक पूजा 
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हास्य कहानी
एक सेठ जी थे उनका बहुत बड़ा व्यापार था अपार संपत्ति उनके पास थी लेकिन एक कमी थी उनके अन्दर कि वे बड़े कंजूस थे, उन्हें लगता था कि सब काम हो जाए पर एक भी धन न जाए |

एक बार वह सतसंग (कथा) सुनने गए वहां उन्होंने सुना कि भगवान की पूजा अर्चना करना चाहिए तभी जीव का कल्याण होगा ? सेठ जी उस सत्संग से बहुत प्रभावित हुए और एक महात्मा जी के पास गए उन्हे प्रणाम किया और उनसे निवेदन किया कि महाराज जी मुझे पूजा अर्चना करना है बहुत इच्छा है मेरी |

महात्मा जी ने कहा यह तो अच्छी बात है इच्छा है तो कर लो, सेठ जी ने कहा महराज पूजा पाठ में धन खर्च होता है और मेरे अंदर बहुत बड़ी कमी है कि मुझसे धन नहीं खर्च किया जाता है |

कोई उपाय बताएं कि पूजा पाठ भी हो जाये और धन भी खर्च ना हो ,महात्मा जी प्रसन्न हो गए उन्होंने कहा सेठ जी मैं तुम्हें मानसिक पूजा की विधि बताता हूं, उसमें तुम्हें धन नहीं खर्च करना पड़ेगा बस आंख बंद करके मन से उस वस्तु का ध्यान कर परमात्मा को समर्पित कर देना है |

अब सेठ जी बड़े प्रसन्न हो गए कि अब बिना धन खर्च करे बढ़िया पूजा होगी, वह मानसिक पूजा करने लगे मन से ही स्नान ध्यान अर्चन पूजा करते और तरह-तरह के भोग लगाते |

एक दिन सेठ जी के मन में विचार आया कि आज प्रभु को चावल की खीर बनाकर भोग लगाया जाए, अब सेठजी ने आंख बंद कर मन से ही खीर बनाने लगे चावल दूध सब डाला मन से ही जब खीर में शक्कर डालने की बारी आई तो सेठ जी एक चम्मच शक्कर डालें और दूसरी चम्मच शक्कर जैसे डालने लगे कि मन में विचार आया कि बस एक ही चम्मच शक्कर बहुत है यह दूसरी चम्मच काल के लिए हो जाएगी |😀

यह होता है व्यक्ति का स्वभाव जो कभी जाता नहीं, उनका स्वभाव कंजूसी का था जो यहां भी झलक आया |

सेठ जी उस चम्मच की शक्कर को जैसै हि डब्बे में डालने के लिए किए कि भगवान प्रकट हो गए और सेठ जी से बोले कि अरे सेठ जी यह शक्कर तो खीर में डाल दो इसमें तो तुम्हारा कुछ नहीं लग रहा, मन से ही खीर बना रहे हो |

सेठ जी को भगवान का दर्शन हुआ, सेठ जी का जीवन सफल हो गया | भगवान ने इसलिए सेठ जी को दर्शन दिए क्योंकि सेठ जी भगवान को मानते थे और सच्चे मन से मानते थे |  हां कमी सबके अंदर रहती है उनके अंदर भी कमी थी उनसे धन खर्च नहीं होता था | पर भगवान पर पूरा विश्वास था इसलिए वो भगवान का दीदार किए 😍 |

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है भले हमारे अंदर कितनी ही कमियां क्यों ना हो लेकिन हमें भगवान को मानना चाहिए |

https://www.bhagwatkathanak.in/p/blog-page_24.html

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