Know the real reason for sending Shri Ram ji to the forest.जानिए श्री राम जी को वन भेजने की असली वजह |

जानिए श्री राम जी को वन भेजने की असली वजह |
Know the real reason for sending Shri Ram ji to the forest
कई लोग कहते हैं कि सत्य के लिए राम जी का त्याग कर दिया दशरथ जी ने, लेकिन बात दूसरी थी, बचन तोड़ने के लिए तो दसरथ जी तैयार हो गए थे |कि कह दूंगा कैकेयी जी से कि मैं बचन तोड़ रहा हूं , इससे क्या होगा ? तो बोले जो वचन देकर वचन भंग कर दे, तो वचन भंग अपयश होगा , दशरथ जी इसके लिए भी तैयार हो गए |
अजस होउ बरू सुजस नसाहूं |
नरक परूं बरु सुरपुर जाहूं ||
बचन तोड़ दूंगा अपयश मिलेगा, मिल जाए, सुयश नष्ट होना है तो हो जाए, नरक मिलेगा तो मिल जाए, स्वर्ग ना मिले,, तो बोलो दशरथ जी सत्य को छोड़ने के लिए तैयार हो गए- वचन तोड़ने के लिए तैयार हो गए |
अच्छा तैयार हो गए थे तो छोड़ ही देते यहां तक कहा--
सब दुख दुसह सहावहुं मोहीं |
लोचन ओट रामजन होहूं ||
सारे दुख मिल जाएं पर राम जी मेरे आंखों से दूर ना जाएं, अगर दशरथ जी वचन तोड़ देते तो रामजी वन ना जाते, लेकिन बात वचन की नहीं थी |
अस मन गुनइ राउ नहिं बोला |
पीपर पात सरिस मन डोला ||
पीपल के पत्ते की तरह मन डोल गया कि मैं वचन तोड़ भी नहीं सकता , क्यों नहीं तोड़ सकते ? सत्य के कारण -अपने अभिमान के कारण बोले- ना ना ना , फिर ? समस्या सत्य की नहीं है- बात बचन की नहीं है बात दूसरी है | तो दशरथ जी रोने लगे |
तेहि पर राम शपथ करी आई |
मैंने राम जी की सौगंध कर कैकेयी जी को वचन दिया है कि तुम जो मांगूंगी वह दूंगा, अगर छोड़ता हूं तो जिसकी सौगंध की है उसका कहीं अमंगल ना हो जाए ,इसलिए मैं वचन नहीं तोड़ सकता |
राम जी के शपथ के लिए दशरथ जी राम जी को वनवास भेजा , उन्होंने कहा मैं सत्य छोड़ सकता हूं पर राम जी की शपथ कैसे छोड़ दूं |
जानिए श्री राम जी को वन भेजने की असली वजह |
Know the real reason for sending Shri Ram ji to the forest