स्त्री शक्ति और उसका स्थान
Female power and its place
स्त्री शक्ति कहलाती है, क्योंकि हम संसार की बहुत सी बातों में शक्ति हीन होते हुए उससे सहायता लेते हैं और इस प्रकार उसकी संगति से शक्ति प्राप्त कर लेते हैं | यह सहधर्मणी है , क्योंकि वह हमारे धार्मिक कार्यों में सहायता देती है |वह जाया है , क्योंकि वह हमारे उत्तराधिकारियों को अपने गर्भ में धारण करती है | अतएव यही कारण है कि स्त्री जीवन की हर एक अवस्था में, धर्म में, धन में ,इक्षा में और मोक्ष में प्रधान सहायक है | वही हमको नरक में ले जाती है और वही हमेको मोक्ष का मार्ग दिखला सकती है, अतएव हमको उसके अनादर करने का विचार कदापि हृदय में नहीं लाना चाहिए |
नारी शक्ति का महत्व
Female power and its place
अपनी स्त्री को गुणवती बनाने के लिए शिक्षा देते रहना चाहिए | उसको ऐसी शिक्षा देनी चाहिए कि वह दीन दुखियों की सहायता करे | नहीं तो इस संसार में सुख तथा शांति प्राप्त ना होकर भय और अपयश मिलेगा | स्त्री पुरुष दोनों को एकमय बन जाना चाहिए |जब तक वे दोनों अपना स्वार्थ छोड़कर एकमय नहीं हो जाएंगे, तब तक वह मोक्ष नहीं प्राप्त कर सकते | इस संसार में स्त्री पुरुष का संबंध अपने स्वार्थ के लिए नहीं है | अपनी स्त्री को ऐसी शिक्षा देनी चाहिए कि वह पहले पहल माता-पिता की सेवा करके, दीन दुखियों की सेवा करना सीखे |
जिसको मनुष्य अपनी पत्नी बना लिया है, उसको अपना कर्तव्य पूर्ण रूप से सिखलाने में कदापि ना चूकना चाहिए |
भगवान की पूजा करना ग्रहस्थ होकर भी असंभव नहीं है | किंतु इसमें चतुराई की आवश्यकता है | इसके अतिरिक्त कोई मार्ग सुगम हो ही नहीं सकता | पत्नी रहित होते हुए भगवान की भक्ति के लिए प्रयत्न करना बहुत कठिन है |
इस मार्ग में आवश्यकता इस बात की है कि स्त्री पुरुष एकमय हो जाएं | आप कदाचित पूछेंगे कि किस प्रकार भिन्न-भिन्न स्वरूपों में होते हुए भी वे एकमय हो सकते हैं ? ऐसा होने के लिए स्त्री तथा पुरुष दोनों ही अत्यंत निस्वार्थ भाव से परस्पर प्रेम करना सीखें |
उनको अपने स्वार्थ का भाव लेश मात्र ना रखना चाहिए , वह कपट को छोड़कर परस्पर शुद्ध व्यवहार करें | दृढता पूर्वक इस प्रकार कार्य करने से अकथनीय सुख प्राप्त होगा |
नारी शक्ति का महत्व
शास्त्रों में पत्नी सहधर्मणी कही गई है, वही सच मुच सुखी तथा धार्मिक है, जो इस संसार में ऐसी स्त्री रखता है, उसके घर में शांति और पवित्रता आती है | जो मनुष्य धार्मिक स्त्री नहीं रखता उसको वैकुंठ भी नरक सामान है , उसका जीवन मृत्यु के समान है और मृत्यु ही वास्तव में उसका जीवन है |
इसलिए हर मनुष्य को स्त्री शक्ति का सम्मान और आदर करना चाहिए, वह नारी ही है जो इस धारा को भरत,राम ,कृष्ण आदि जैसे महान आत्माओं को हमें प्रदान किया |
शत-शत नमन और वंदन परम शक्ति को और एक बात का विशेष ध्यान देना चाहिए स्त्री और पुरुष दोनों को कि दोनों के परस्पर मिलन और प्रेम से इस जगत का निर्माण होता है | तो दोनों को लेश मात्र का अपने में अभिमान ना आए ऐसा प्रयास करना चाहिए |
नारी शक्ति का महत्व
ईर्ष्या,द्वेष,दंभ और पाखंड आदि से हमेशा बचना चाहिए | तभी हम सुख को प्राप्त करेंगे और हमारा राष्ट्र समृद्धि को प्राप्त होगा |स्त्री का स्थान हमेशा ऊंचा रहा है ,इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन , जिसका वेद विधान करते हैं , उसी राह का अनुसरण करना चाहिए स्त्रियों को तथा पुरुषों को भी क्योंकि वेद के बताए मार्ग में चलना ही धर्म है उसे छोड़कर दूसरा मनमाना कार्य ( राह पकड़ना ) अधर्म है |हमारी इस धारा का अनुपम उदाहरण जो स्त्रियों के सम्मान को दर्शाता है - रामचरितमानस में परम पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी वर्णन करते हैं | कि त्रेता युग में जब भगवान राम वन को सीता और लक्ष्मण के साथ निकले, तब उन्हें गंगा पार जाना था उस समय श्रीराम ने आगे सिया जी ( शक्ति ) को बिठाले फिर खुद बैठे तो सभी पुरुष को उनसे सीख लेनी चाहिए कि स्त्री का सम्मान और स्थान सर्वप्रथम है |
और उन्हें भी ऐसा आदर नारी के प्रति देना चाहिए उनके साथ हमेशा अच्छा बर्ताव करें | ऐसा कार्य कदापि ना करें कि नारी जाति को कष्ट हो उन्हें पीडा हो , नारी शक्ति की जितनी महिमा बखान करो उतनी ही कम है | इसलिए समस्त नारी शक्ति समूह को मेरा कोटि-कोटि प्रणाम , और अपनी लेखनी को यहां विश्राम |
नारी शक्ति का महत्व
नारी शक्ति का होता जहां सम्मान है , हमेशा वास करते वहां भगवान हैं |
उसी से होता इस जगत का कल्याण है ,
इसीलिए नारी शक्ति सबसे महान है ||
लेखक- Kathahindi.com