काम-क्रोधादिको जीतनेके उपाय
Ways to win the rage
श्री देवर्षि नारद जी महाराज युधिष्ठिर को उपदेश करते हैं-
असंकल्पाज्जयेत् कामं क्रोधं कामविवर्जनात् ।
अर्थानर्थेक्षया लोभं भयं तत्त्वावमर्शनात् ॥
धर्मराज ! संकल्पोंके परित्यागसे कामको, कामनाओंके त्यागसे क्रोधको, संसारी लोग जिसे अर्थ कहते हैं उसे अनर्थ समझकर लोभको और तत्त्वके विचारसे भयको जीत लेना चाहिये ।
आन्वीक्षिक्या शोकमोहौ दम्भं महदुपासया ।
योगान्तरायान् मौनेन हिंसां कायाद्यनीहया ॥
अध्यात्मविद्यासे शोक और मोहपर, संतोंकी उपासनासे दम्भपर, मौनके द्वारा योगके विघ्नोंपर और शरीर प्राण आदिको निश्चेष्ट करके हिंसापर विजय प्राप्त करनी चाहिये ।
कृपया भूतजं दुःखं देवं जह्यात् समाधिना ।
आत्मजं योगवीर्येण निद्रां सत्त्वनिषेवया ॥
आधिभौतिक दुःखको दयाके द्वारा, आधिदैविक वेदनाको समाधिके द्वारा और आध्यात्मिक दुःखको योगबलसे एवं निद्राको सात्त्विक भोजन, स्थान, सङ्ग आदिके सेवनसे जीत लेना चाहिये।
(श्रीमद्भा० ७ । १५ । २२-२४ )
काम-क्रोधादिको जीतनेके उपाय
Ways to win the rage
Mourning and fascination with spiritualism, Dambapar by the worship of saints, the disturbance of yoga by mouns and the death of the body should be conquered violently.
One should conquer the physical sorrows by kindness, by the spiritual suffering and spiritual sorrow, by the power of yoga, and by sleeping with sattvik food, place, music etc.
काम-क्रोधादिको जीतनेके उपाय
Ways to win the rage