।।जय जय रघुवीर समर्थ।।
प्रेरक कहानी हिन्दी में
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- हम बुराइयों से बच सकते हैं !
उमा जे राम चरन रत बिगत काम मद क्रोध।
निज प्रभुमय देखहिं जगत केहि सन करहिं बिरोध।।
🐚🐚🐚🐚🐚🐚🐚🐚🐚🐚🐚एक बार एक महात्मा जी के पास दो आदमी ज्ञान लेने के लिए आए। महात्मा बहुत पहुंचे हुए थे। उन्होंने दोनों को एक-एक चिडिया दे दी और कहा:- जाओ, इन चिडियाओं को ऐसी जगह मार कर लाओ जहाँ कोई और आपको देखें नहीं।
उनमें से एक तो तुरंत ही पेड़ की ओट में जाकर उस चिडिया को मार कर ले आया। जो दूसरा व्यक्ति था वह किसी सुनसान जगह पर चला गया।
जब वह उस चिडिया को मारने ही वाला था, वह अचानक रुक गया और सोचने लगा- जब मैं इसे मारता हूँ तो यह मुझे देखती है और मैं भी इसे देखता हूँ। तब तो हम दो हो गये और तीसरा ईश्वर भी यह सब कुछ देख रहा है। महात्मा जी का आदेश है कि इस चिडिया को वहाँ मारना जहाँ कोई और न देखें।
देस काल दिसि विदिसहुँ माँही।
कहहु सो कहाँ जहाँ प्रभु नाही।।
आखिर यह सोचकर उस चिडिया को महात्मा जी के पास जीवित ही ले आया और बोला- "महात्मा जी! मुझे तो ऐसी कोई जगह नहीं मिली जहां कोई नहीं देखता हो, क्योंकि ईश्वर हर जगह मौजूद है।"महात्मा जी ने कहा:- "तुम ही ज्ञान के सही अधिकारी हो। मैं तुझे ज्ञान दूंगा।"
महात्मा जी ने उस दूसरे आदमी को वहां से डांट कर भगा दिया।
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