*।।जय जय रघुवीर समर्थ।।*
*🐚सप्त मोक्षदायीनी नगरी-*
*अयोध्या मथुरा माया काशी कांची अवंतिका।**पुरी द्वारावती चैव सप्तैता मोक्षदायिकाः॥*
इस श्लोक का सरल अर्थ यह है कि अयोध्या, मथुरा, माया यानी हरिद्वार, काशी, कांचीपुरम, अवंतिका यानी उज्जैन, द्वारिकापुरी, ये सातों मोक्षदायीनी पवित्र नगरियां यानी पुरियां हैं।
ये सात शहर अलग-अलग देवी-देवताओं से संबंधित हैं। अयोध्या श्रीराम से संबंधित है। मथुरा और द्वारिका का संबंध श्रीकृष्ण से है। वाराणसी और उज्जैन शिवजी के तीर्थ हैं। हरिद्वार विष्णुजी और कांचीपुरम माता पार्वती से संबंधित है।
प्रथम मोक्षदायिनी पुरी- श्री धाम अयोध्या जी
द्वितीय मोक्षदायिनी पुरी- श्री मथुरा जी
तृतीय मोक्षदायिनी पुरी- हरिद्वार
चतुर्थ मोक्षदायिनी पुरी- श्री काशी विश्वनाथ
पंचम मोक्षदायिनी पुरी- श्री कांचीपुरम
छठवीं मोक्षदायिनी पुरी- श्री अवंतिका (उज्जैन)
सप्तम मोक्षदायिनी पुरी- श्री द्वारिका जी
*🐚श्रीरामचरितमानस के सात काण्ड भी सप्त मोक्षदायिनी पुरी के समान ही फलदायी है-*
०१~ बालकाण्ड~ अयोध्या पुरी
०२~ अयोध्याकाण्ड~ मथुरा पुरी
०३~ अरण्यकाण्ड~ हरिद्वार
०४~ किष्किन्धाकाण्ड~ श्री काशी विश्वनाथ
०५~ सुन्दरकाण्ड~ श्री कांचीपुरम
०६~ लंकाकाण्ड~ श्री अवंतिका (उज्जैन)
०७~ उत्तरकाण्ड~ श्री द्वारिका जी