F दृष्टान्त कथाएं हिंदी में drishtant kathayen hindi mein - bhagwat kathanak
दृष्टान्त कथाएं हिंदी में drishtant kathayen hindi mein

bhagwat katha sikhe

दृष्टान्त कथाएं हिंदी में drishtant kathayen hindi mein

 दृष्टान्त कथाएं हिंदी में drishtant kathayen hindi mein
 दृष्टान्त कथाएं हिंदी में 
drishtant kathayen hindi mein
 दृष्टान्त कथाएं हिंदी में   drishtant kathayen hindi mein

  • शांत भक्ति-

   'यह संसार माया है अर्थात अवास्तविक है। जीवन अनित्य है,क्षणभंगुर है और विषय वासनादि आत्मा के  बंधन स्वरुप है' ऐसा मान कर जब कोई भक्त भगवान् की शरण में जाता है, तब एक ओर सांसारिकता के प्रति विरक्ति तथा दूसरी ओर इष्ट प्रति अनुराग के कारण उसके मन एक प्रकार की सम उत्पन्न होता है। इस कोटि की भक्ति इसी प्रकार का निर्विकार और शांत प्रवृति का साधक करता है।

इस प्रकार भक्ति के अनेक रूप है, अनेक रीतियाँ है। कोई ईश्वर को स्वामी के रूप में देखता है तो कोई सखा भाव से, कोई उन्हें पुत्रवत प्रेम करता है तो कोई पति के रूप में। भक्त हर रूप में उनसे प्रेम करने के लिए स्वतंत्र है।

भक्त भगवान् की सेवा करता है, उनकी महिमा  का गान करता है, उनकी लीलाओं पर रीझता है, उनसे प्रेम करता है, उनके अनुरूप बनने का प्रयत्न करता है। कभी-कभी वह उनसे रूठ भी जाता है, तो कभी-कभी उपलम्भ भी देता है। वह उनकी बाल-लीलाओं पर मुग्ध होता है तो कभी उन्हीं के पीड़ा में स्वयं भी पीड़ित ओ जाता है। भक्त और भगवान् का यह सम्बन्ध ही भक्ति है।

भक्ति ईश्वर से साक्षात्कार कराती है।  इसमें भक्त और भगवान् के बीच अन्य किसी की आवश्यकता नहीं पड़ती है न ही इसमें धर्म और जाति आदि का भेद-भाव होता है। यह सभी को एक धरातल पर लाती है, मनुष्यता के धरातल पर............ इसीलिए भक्ति आज भी प्रासंगिक है तथा आगे भी रहेगी।

https://www.bhagwatkathanak.in/p/blog-page_24.html


।।श्री राम जय राम जय जय राम।।
 दृष्टान्त कथाएं हिंदी में 
drishtant kathayen hindi mein

Ads Atas Artikel

Ads Center 1

Ads Center 2

Ads Center 3