दुर्वासाको बचानेके लिये सुदर्शन चक्रसे प्रार्थना
स त्वं जगत्त्राण खलप्रहाणये
निरूपितः सर्वसहो गदाभृता।
विप्रस्य चास्मत्कुलदैवहेतवे
- विधेहि भद्रं तदनुग्रहो हि नः ॥
विश्वके रक्षक ! आप रणभूमिमें सबका प्रहार सह लेते हैं । आपका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता । गदाधारी भगवान्ने दुष्टोंके नाशके लिये ही आपको नियुक्त किया है ।
आप कृपा करके हमारे कुलके भाग्योदयके लिये दुर्वासाजीका कल्याण कीजिये । हमारे ऊपर आपका यह महान् अनुग्रह होगा ।
आप कृपा करके हमारे कुलके भाग्योदयके लिये दुर्वासाजीका कल्याण कीजिये । हमारे ऊपर आपका यह महान् अनुग्रह होगा ।
यद्यस्ति दत्तमिष्टं वा स्वधर्मों वा स्वनुष्ठितः ।
कुलं नो विप्रदेवं चेद् द्विजो भवतु विज्वरः ॥
यदि मैंने कुछ भी दान किया हो, यज्ञ किया हो अथवा अपने धर्मका पालन किया हो, यदि हमारे वंशके लोग ब्राह्मणोंको ही अपना आराध्यदेव समझते रहे हों, तो दुर्वासाजीकी जलन मिट जाय।
(श्रीमद्भा० ९ । ५ । ९-१०)
दुर्वासाको बचानेके लिये सुदर्शन चक्रसे प्रार्थना
sudarshan prathna bhagwat katha
sudarshan prathna bhagwat katha