खादन्न गच्छामि हसन्नजल्पे श्लोकार्थ khadanna gachhami hasanna jalpe shlok lyrics

खादन्न गच्छामि हसन्नजल्पे श्लोकार्थ
खादन्न गच्छामि हसन्नजल्पे श्लोकार्थ khadanna gachhami hasanna jalpe shlok lyrics
कालिदास जी एक श्लोक के माध्यम से राजा से कहते हैं कि राजन सुनो मूर्ख के लक्षण क्या है

खादन्न गच्छामि हसन्नजल्पे
         गतन्न शोचामि कृतन्नमन्ये |
द्वाभ्यांतृतीयो न भवानि राजन
        किं कारणे भोज भवामि मूर्खः||

➡ राजन जो खाते हुए चलता है हंसते हुए जल पीता है जो समय बीत गया उसके बारे में सोचता है और सदा सोचता रहता है जब दो लोग आपस में बात करते हो तो बीच में बोलता हो उसे मूर्ख कहते हैं |

और राजन ऐसा तो मैंने कुछ कार्य नहीं किया फिर तुमने मुझे मूर्ख कैसे कहा राजा को अपनी गलती का एहसास हुआ उनके चरणों में प्रणाम किया और उनसे क्षमा मांगे उन्हें याद आ गया हां जब रानी बात कर रही थी सखियों से तब मैं बीच में बोल रहा था |

और उसे  गर्व महसूस हुआ कि मेरी पत्नी भी बहुत विद्वान है

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