पुण्यात्मा कौन है जानें ? पद्म पुराण श्लोक हिंदी अर्थ सहित punyatma kaun hai

पद्म पुराण श्लोक हिंदी अर्थ सहित 
punyatma kaun hai 
पुण्यात्मा कौन है जानें ? पद्म पुराण श्लोक हिंदी अर्थ सहित punyatma kaun hai
  •   पुण्यात्मा कौन है ? 

परतापच्छिदो ये तु चन्दना इव चन्दनाः । 
परोपकृतये ये तु पीड्यन्ते कृतिनो हि ते ॥ 
जो चन्दन-वृक्षकी भाँति दूसरोंके ताप दूर करके उन्हें आह्लादित करते हैं तथा जो परोपकारके लिये स्वयं कष्ट उठाते हैं, वे ही पुण्यात्मा हैं ।

संतस्त एव ये लोके परदुःखविदारणाः । 
आर्तानामार्तिनाशार्थ प्राणा येषां तृणोपमाः ॥ 
संसारमें वे ही संत हैं, जो दूसरोंके दुःखोंका नाश करते हैं तथा पीड़ित जीवोंकी पीड़ा दूर करनेके लिये जिन्होंने अपने प्राणोंको तिनकेके समान निछावर कर दिया है ।

तैरियं धार्यते भूमिर्न रैः परहितोद्यतः । 
मनसो यत्सुखं नित्यं स स्वर्गों नरकोपमः ॥ 
जो मनुष्य सदा दूसरोंकी भलाईके लिये उद्यत रहते हैं, उन्होंने ही इस पृथ्वीको धारण कर रक्खा है । जहाँ सदा अपने मनको ही सुख मिलता है, वह स्वर्ग भी नरकके ही समान है।

तस्मात्परसुखेनैव साधवः सुखिनः सदा । 
वरं निरयपातोऽत्र वरं प्राणवियोजनम् । 
न पुनः क्षणमा+नामातिनाशमृते सुखम् ॥
अतः साधुपुरुष सदा दूसरोंके सुखसे ही सुखी होते हैं । यहाँ नरकमें गिरना अच्छा, प्राणोंसे वियोग हो जाना भी अच्छा; किंतु पीड़ित जीवोंकी पीड़ा दूर किये बिना एक क्षण भी सुख भोगना अच्छा नहीं है।
( पद्म० पाताल० ९७ । ३२-३५)

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