F दुर्लभो मानुषो देहो- श्लोकार्थ :/ durlabho maanusho deho- bhagwat shlok l - bhagwat kathanak
दुर्लभो मानुषो देहो- श्लोकार्थ :/ durlabho maanusho deho- bhagwat shlok l

bhagwat katha sikhe

दुर्लभो मानुषो देहो- श्लोकार्थ :/ durlabho maanusho deho- bhagwat shlok l

 दुर्लभो मानुषो देहो- श्लोकार्थ :/ durlabho maanusho deho- bhagwat shlok l
  •  दुर्लभो मानुषो देहो- श्लोकार्थ : 
 दुर्लभो मानुषो देहो- श्लोकार्थ :/ durlabho maanusho deho- bhagwat shlok l
दुर्लभो मानुषो देहो देहिनां क्षणभङ्गुरः। 
तत्रापि दुर्लभं मन्ये वैकुण्ठप्रियदर्शनम् ॥ 
( श्रीमद्भा० ११ । २ । २९ )

जीवोंके लिये मनुष्य-शरीरका प्राप्त होना दुर्लभ है । यदि यह प्राप्त भी हो जाता है तो प्रतिक्षण मृत्युका भय सिरपर सवार रहता है, क्योंकि यह क्षणभङ्गुर है ।

इसलिये अनिश्चित मनुष्य-जीवनमें भगवान्के प्यारे और उनको प्यार करनेवाले भक्तजनोंका, संतोंका दर्शन तो और भी दुर्लभ है।

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