ब्रह्माजीकी आयु का वर्णन- पद्म पुराण / bramha ji ki aayu ka varnan in hindi

ब्रह्माजीकी आयु का वर्णन 

ब्रह्माजीकी आयु का वर्णन- पद्म पुराण  / bramha ji ki aayu ka varnan in hindi


 पद्म पुराण 

पुलस्त्यजी कहते हैं-राजन्! ब्रह्माजी सर्वज्ञ एवं साक्षात् नारायणके स्वरूप हैं। वे उपचारसे आरोपद्वारा ही 'उत्पन्न हुए' कहलाते हैं। वास्तवमें तो वे नित्य ही हैं। अपने निजी मानसे उनकी आयु सौ वर्षकी मानी गयी है। 

वह ब्रह्माजीकी आयु 'पर' कहलाती है, उसके आधे भागको परार्ध कहते हैं। 

पंद्रह निमेषकी एक काष्ठा होती है। 

काष्ठाओंकी एक कला और तीस कलाओंका एक मुहूर्त होता है। 

तीस मुहूतोंके कालको मनुष्यका एक दिन-रात माना गया है। 

तीस दिन-रातका एक मास होता है। 

एक मासमें दो पक्ष होते हैं। 

छ: महीनोंका एक अयन और दो अयनोंका एक वर्ष होता है। 

अयन दो है, दक्षिणायन और उत्तरायण। दक्षिणायन देवताओंकी रात्रि है और उत्तरायण उनका दिन है। 

देवताओंके बारह हजार वर्षांक चार युग होते हैं, जो क्रमशः सत्ययुग, त्रेता, द्वापर और कलियुगके नामसे प्रसिद्ध हैं। अब इन युगोंका वर्ष-विभाग सुनो। 

पुरातत्त्वके ज्ञाता विद्वान् पुरुष कहते हैं कि सत्ययुग आदिका परिमाण क्रमश: चार, तीन, दो और एक हजार दिव्य वर्ष हैं। प्रत्येक युगके आरम्भमें उतने ही सौ वर्षोंकी सन्ध्या कही जाती है और युगके अन्तमें सन्ध्यांश होता है। 

सन्ध्यांशका मान भी उतना ही है, जितना सन्ध्याका। नृपश्रेष्ठ! सन्ध्या और सन्ध्यांशके बीचका जो समय है, उसीको युग समझना चाहिये। वही सत्ययुग और त्रेता आदिके नामसे प्रसिद्ध है। 

सत्ययुग, त्रेता, द्वापर और कलियुग-ये सब मिलकर चतुर्युग कहलाते हैं। ऐसे एक हजार चतुर्युगोंको ब्रह्माका एक दिन कहा जाता है।

मनु और मनुके पुत्र-ये एक ही समयमें उत्पन्न होते हैं तथा अन्तमें साथ-ही-साथ इनका संहार भी होता है। इकहत्तर चतुर्युगसे कुछ अधिक कालका एक मन्वन्तर होता है। 

यही मनु और देवताओं आदिका समय है। इस प्रकार दिव्य वर्षगणनाके अनुसार आठ लाख, बावन हजार वर्षोंका एक मन्वन्तर होता है। 

महामते ! मानव-वर्षों से गणना करनेपर मन्वन्तरका कालमान पूरे तीस करोड़, सरसठ लाख, बीस हजार वर्ष होता है। इससे अधिक नहीं।३ 

इस कालको चौदह गुना करनेपर ब्रह्माके एक दिनका मान होता है। उसके अन्तमें नैमित्तिक नामवाला ब्राह्म-प्रलय होता है। उस.समय त्रिलोकी दग्ध होने लगती है और महर्लोकमें निवास करनेवाले पुरुष आँचसे सन्तप्त होकर जनलोकमें चले जाते हैं।

दिनके बराबर ही अपनी रात बीत जानेपर ब्रह्माजी पुनः संसारकी सृष्टि करते हैं। इस प्रकार [पक्ष, मास आदिके क्रमसे धीरे-धीरे] ब्रह्माजीका एक वर्ष व्यतीत होता है तथा इसी क्रमसे उनके सौ वर्ष भी पूरे हो जाते हैं। सौ वर्ष ही उन महात्माकी पूरी आयु है।



१- युगों तथा ब्रह्माक दिनका वर्ष-संख्या इस प्रकार समझनी चाहिये। सत्ययगका मान चार हजार दिव्य वष ह. उसक आरम्भम चार सा वषाका सन्ध्या और अन्तमें चार सौ वर्षोंका सन्ध्यांश होता है. इस प्रकार सन्ध्या और सन्ध्यांशसहित सत्ययगका अवाध चार हजार आठ सा (४८००) दिव्य वर्षोंकी है। 

इसी तरह त्रेताका युगमान ३००० दिव्य वर्ष, सन्ध्या-मान ३०० वर्ष आर सन्ध्याश-मान ३०० वष ह; अतः उसकी पूरी अवधि ३६०० दिव्य वर्षोंकी हई। 

द्वापरका युगमान २००० वर्ष, सन्ध्या-मान २०० वर्ष आर सन्ध्याश-मान २०० वर्ष है; अतः उसका मान २४०० दिव्य वर्षोंका हआ। 

कलियगका यगमान १००० वर्ष, सन्ध्यामान १०० वर्ष और सन्ध्याश-मान १०० वर्ष है; इसलिये उसकी आय १२०० दिव्य वर्षोंकी हई। 

देवताओंका वर्ष मानव-वर्षसे ३६० गुना अधिक होता है; अतः मानव-वर्षके अनुसार कलियुगकी आयु ४,३२,००० वर्षोंकी, द्वापरकी ८,६४,००० वर्षोंकी, त्रेताकी १२,९६,००० वर्षोंकी तथा सत्ययुगकी आयु १७,२८,००० वर्षों की है। इनका कुल योग ४३,२०,००० वर्ष हुआ। 

यह एक चतुर्युगका मान है। ऐसे एक हजार चतुर्युगोंका अर्थात् हमारे ४,३२,००,००,००० (चार अरब बत्तीस करोड़) वर्षोंका ब्रह्माका एक दिन होता है।

२- ब्रह्माजीके एक दिनमें चौदह मन्वन्तर होते हैं; इकहत्तर चतुर्युगोंके हिसाबसे चौदह मन्वन्तरोंमें ९९४ चतुर्युग होते हैं। परन्तु ब्रह्माका दिन एक हजार चतुर्युगोंका माना गया है; अतः छः चतुर्युग और बचे। 

छ: चतुर्युगका चौदहवाँ भाग कुछ कम पाँच हजार एक सौ तीन दिव्य वर्षोंका होता है। इस प्रकार एक मन्वन्तरमें इकहत्तर चतुर्युगके अतिरिक्त इतने दिव्य वर्ष और अधिक होते हैं।

३- यह वर्ष-संख्या पूरे इकहत्तर चतुर्युगोंका मन्वन्तर मानकर निकाली गयी है; इस हिसाबसे ब्रह्माजीके दिनका मान ४,२९,४०,८०,००० (चार अरब, उनतीस करोड़, चालीस लाख, अस्सी हजार) मानव-वर्ष होता है।

 परन्तु पहले बता आये हैं कि इकहत्तर चतुर्युगसे कुछ अधिक कालका मन्वन्तर होता है। वह अधिक काल है-छ: चतुर्युगका चौदहवाँ भाग। उसको भी जोड़ लेनेपर मन्वन्तरका काल ऊपर दी हुई संख्यासे अधिक होगा और उस हिसाबसे ब्रह्माजीका दिनमान चार अरब, बत्तीस करोड़ वर्षोंका ही होगा।

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