F गौणस्नानानि- अस्वस्थ या किन्ही और कारणों से इस क्रिया से स्नान का ही फल मिलता है। mansik snana ke prakar va vidhi in hindi - bhagwat kathanak
गौणस्नानानि- अस्वस्थ या किन्ही और कारणों से इस क्रिया से स्नान का ही फल मिलता है। mansik snana ke prakar va vidhi in hindi

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गौणस्नानानि- अस्वस्थ या किन्ही और कारणों से इस क्रिया से स्नान का ही फल मिलता है। mansik snana ke prakar va vidhi in hindi

 गौणस्नानानि- अस्वस्थ या किन्ही और कारणों से इस क्रिया से स्नान का ही फल  मिलता है। mansik snana ke prakar va vidhi in hindi

 गौणस्नानानि-

गौणस्नानानि- अस्वस्थ या किन्ही और कारणों से इस क्रिया से स्नान का ही फल  मिलता है। mansik snana ke prakar va vidhi in hindi


अस्वस्थ या किन्ही और कारणों से इस क्रिया से स्नान का ही फल  मिलता है। 
अतिशय बाल्य, वार्धक-भाव तथा अस्वस्थ रहने के कारण गर्म जल से भी स्नान करने में अशक्त रहने पर नीचे लिखे चारों में से कोई एक गौणस्नान कर लेना चाहिए।

आचमन कर ॐ अद्येत्यादि देशकालौ संकीर्त्य सन्ध्याद्यधिकारार्थम् अमुकस्नानमहं करिष्ये । 
यथा निमित्त संकल्प कर स्नान करे ।

मन्त्रस्नान- आपो हिष्टेति....... तीन मंत्रों से अंग का प्रोक्षण कर ले।

गायत्रस्नान :- गायत्री मंत्र से दशबार जल को अभिमंत्रित कर उस जल से सर्वांग का प्रोक्षण गायत्र स्नान है।

कापिलस्नान :- गीले कपड़े से शरीर का परिमार्जन कर लेना कापिल स्नान है।

यौगिकस्नान : -- विष्णु का स्मरण करते हुए दाहिने हाथ से अङ्गों का स्पर्श कर लेना यौगिक स्नान है।

इन चार स्नानों में यथासम्भव कोई भी स्नान, जप, संध्या आदि के लिए शुद्धि कारक है । 
इन गौण स्नानों का श्राद्ध, देवार्चन आदि में विधान नहीं है। 

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