जल में तीर्थागत भावना के सम्पादन हेतु तीर्थों की प्रार्थना करें-- tirth prathna shloka lyrics

 जल में तीर्थागत भावना के सम्पादन हेतु तीर्थों की प्रार्थना करें -- 

जल में तीर्थागत भावना के सम्पादन हेतु तीर्थों की प्रार्थना करें-- tirth prathna shloka lyrics

तीर्थप्रार्थना : --

नमामि गंगे तव पादपंकजं सुरासुरैर्वन्दितदिव्यरूपे ! 

भक्तिश्च मुक्तिं च ददासि नित्यं भावानुसारेण सदा नराणाम् ।।

पुष्कराद्यानि तीर्थानि गंगाद्याः सरितस्तथा । 

आगच्छन्तु पवित्राणि स्नानकाले सदा मम ।। 

गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति । 

कावेरि नर्मदे सिन्धो जलेऽस्मिन्सन्निधि कुरु ।। 

त्वं राजा सर्वतीर्थानां त्वमेव जगतः पिता । 

वाचितं देहि मे तोयं सर्वपापापनुत्तये ।। 

नन्दिनी नलिनी सीता मालतीच मलापहा । 

विष्णुपादाब्जसम्भूता गंगा त्रिपथगामिनी ॥ 

भागीरथी भोगवती जाह्नवी त्रिदशेश्वरी । 

द्वादशैतानि नामानि यत्र यत्र जलाशये ।। 

स्नानोद्यतः पठेद्यस्तु तत्र तत्र साम्यहम् । 

एतान्मन्त्रापठित्वान्ते सर्वांगे लानमाचरेत् ॥ 

गोदावरि नमस्तुभ्यं नमस्ते पापहारिणि । 

अनुना देहि में मातः शुन्यै स्नानं करोम्यहम् ।। 

गंगा गंगेति यो व्याघोजनानां शतैरपि ।

मुच्यते सर्वपापेभ्यो विष्णुलोकं स गच्छति ।। 


इस प्रकार तीर्थों का स्मरण कर शरीर को मत्लशोधक सौषधि द्रव्यों से शुद्ध कर विशुद्ध जल से स्नान करें। 


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