प्रातः काल स्नान का संकल्प लिरिक्स / pratah kal snan ka sankalp lyrics

प्रातः काल स्नान का संकल्प लिरिक्स 



भगवान का स्मरण करते हुए पत्थर अथवा काप्ठ के आसन पर बैठकर पहल हाथ पार धो ले और तीन चार कुल्ला कर ले । 
फिर आचमन कर शिवा वाँधकर हाथ में जल लेकर मफल्प करें । 

संकल्पस्यः : --

ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य अद्य व्रह्मणो द्वितीये परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्यन्तरे अष्टाविशतितमे युगे कलियुगे कलिप्रथमचरणे भारतवर्षे जम्बूद्वीपे आर्यावर्तान्तर्गतना ब्रह्मावकर्तेकदेशे अमुकनामसंवत्सरे तथा च अमुके श्रीविक्रमवर्षे अमुकायने, अमुक ऋतौ, अमुक मासे, अमुकपक्षे अमुकततिथौ अमुकवासरे अमुक मासे, अमुक नक्षत्रे योगे अमुकयोने अमुककरणे अमुकराशिस्थिते चन्द्रे अमुकराशिस्थिते श्रीसूर्ये अमुकराशिस्थिते देवगुरौ शेषेषु ग्रहेषु यथायथं राशिस्थानस्थितेषु सत्सु एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभपुण्यतिथौ ममात्मनः श्रुतिस्मृतिपुराणोक्त-पुण्यफलप्राप्त्यर्थम् इह जन्ममि कायिकबाचिकमानसिकसांसर्गिकज्ञाताज्ञात : -- स्पर्शास्पर्शासनभोजनशयनगमनादि कृत सकलपातक-क्षयद्वारा श्रीपरमेश्वर-प्रीत्यर्थं शीतोदकेन उष्णोदकेन वा (गृहे तड़ागे, कूपे, सरसि, महानद्याम् अमुक तीर्थेन्वा) प्रातःस्नानं अहं करिष्ये ।।

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