यज्ञोपवीतधारणम् -
इस वैदिक विधि से यज्ञोपवीत धारण करें
संकल्प कर दो यज्ञोपवीत धारण करें । यदि मलमूत्र त्यागते समय यज्ञोपवीत कान पर लपेटना भूल जाँय तो नवीन यज्ञोपवीत धारण कर लें ।
श्रावणी-कर्म में पूजन किया हुआ यज्ञोपवीत न हो तो नूतन ही जल से शुद्धकर दशबार गायत्री मंत्र से अभिमंत्रित कर नीचे लिखे मंत्रों से प्रत्येक सूत्र एवं ग्रंथि में देवताओं का आवाहन करें ।
प्रथम तन्तौ ॐ कारमावाहयामि । द्वितीयतन्तौ ॐ अग्निमावाहयामि । तृतीयतन्तौ ॐ सर्पानावाहयामि । चतुर्थतन्तौ ॐ सोममावाहयामि । पञ्चमतन्तौ ॐ पितृनावाहयामि । पप्ठतन्तौ ॐ प्रजापतिमावाहयामि ।
सप्तमतन्तौ ॐ अनिलमावाहयामि । अष्टमतन्तौ ॐ सूर्यमावाहयामि नवमतन्तौ ॐ विश्वान् देवानावाहयामि ।
अन्थि मध्ये : -- ॐ ब्रह्मणे नमः ॐ ब्रह्माणमावाहयामि । ॐ विष्णवे | नमः ॐ विष्णुमावाहयामि । ॐ रुद्राय नमः ॐ रुद्रमावाहयामि ।।
यज्ञोपवीतधारणे विनियोगः --
ॐ यज्ञोपवीतमिति मन्त्रस्य परमेष्ठी ऋपिः लिंगोक्ता देवता त्रिष्टुप छन्दः यज्ञोपवीतधारणे विनियोगः ।
मन्त्रः --
ॐ यज्ञोपवीतं. परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात् ।
आयुष्यमग्रयं प्रतिमुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं लमस्तुतेजः ।।
(पुराने जनेऊ को निम्नोक्त मन्त्र से निकाल दें)
एतावदिनपर्यन्तं ब्रह्म त्वं धारितं मया ।
जीर्णत्वात्त्वत्परित्यागो गच्छ सूत्र यथासुखम् ।।