F सात दिन की कथा का संछिप्त विवरण हिंदी में / bhagwat katha vivran hindi main, parashar ji - bhagwat kathanak
सात दिन की कथा का संछिप्त विवरण हिंदी में / bhagwat katha vivran hindi main, parashar ji

bhagwat katha sikhe

सात दिन की कथा का संछिप्त विवरण हिंदी में / bhagwat katha vivran hindi main, parashar ji

सात दिन की कथा का संछिप्त विवरण हिंदी में / bhagwat katha vivran hindi main, parashar ji
 भागवत कथा
सात दिन की कथा का संछिप्त विवरण हिंदी में / bhagwat katha vivran hindi main, parashar ji
[ कथा-सङ्केत ]
पद्मपुराणोक्त माहात्म्य 
माहात्म्य का उपक्रम, नारदजी की वृन्दावन में भक्ति से भेंट, भक्ति का दुःख दूर करने के लिये नारदजी का उद्यम, भक्ति के कष्ट की निवृत्ति गोकर्णोपाख्यान का प्रारम्भ, आत्मदेव ब्राह्मण का चरित्र, धुन्धुकारी को भयंकर प्रेतयोनि की प्राप्ति तथा उस प्रेत योनि से उद्धार, श्रीमदभागवत महापुराण की सप्ताहयज्ञ का विधि विधान।

प्रथमस्कन्ध (अधिकारी) 
ग्रन्थ का उपक्रम, श्रीसूतजी से शौनकादि ऋषियों का प्रश्न, भगवत्कथा एवं भगवद्भक्ति का माहात्म्य, भगवान् के अवतारों का वर्णन ।

महर्षि व्यास का असन्तोष, भगवान् के यश-कीर्तन की महिमा और देवर्षि नारदजी का पूर्वचरित्र, शुकदेवजी का " चरित्र अश्वत्थामा द्वारा द्रौपदी के पुत्रों का मारा जाना, अर्जुन द्वारा अश्वत्थामा का मानमर्दन, गर्भस्थ परीक्षित की रक्षा ।  

कुन्ती द्वारा श्रीभगवान् की स्तुति ,युधिष्ठिर का शोक, भीष्मकृत भगवत्स्तुति, परीक्षित का जन्म, श्रीकृष्ण का द्वारकागमन, श्रीकृष्ण एवं पाण्डवों का परमधामगमन ।

राजा परीक्षित का चरित्र, परीक्षित द्वारा कलियुग का दमन, श्रृंगी द्वारा परीक्षित को शाप, परीक्षित का शुकताल में आगमन।
अनेक संतों व श्रीशुकदेवजी महाराज का आगमन।

द्वितीयस्कन्ध (साधन) 
श्रीशुकदेवजी द्वारा उपदेश प्रारम्भ, ध्यानविधि एवं विराटप का वर्णन, क्रममुक्ति व सद्योमुक्ति का व्याख्यान, कामनाभेद से देवोपासना, श्रीशुकदेवजी महाराज कृत मंगलाचरण सृष्टि वर्णन, ब्रह्माजी को श्रीभगवान् द्वारा चतुःश्लोकी का उपदेश, भागवत के दस लक्षणों का वर्णन।

तृतीय स्कन्ध (सर्ग) 
विदुरजी और उद्धवजी की भेंट, विदुरजी का मैत्रेयजी के पास जाना, मैत्रेयजी द्वारा सृष्टिक्रम एवं श्रीवराहावतार का वर्णन ,कर्दमजी की तपस्या और भगवान् द्वारा वरदान, देवहूति-कर्दम विवाह, श्रीकपिलदेवजी का अवतार, कपिलअष्टाध्यायी का उपदेश।

चतुर्थ स्कन्ध (विसर्ग) 
स्वायम्भुव मनु की कन्याओं के वंश का वर्णन, अत्रि-चरित्र, शिवजी और दक्ष का मनोमालिन्य, दक्ष-यज्ञ का विध्वंस, ध्रुव-चरित्र, ध्रुवजी का वनगमन, भगवान् का दर्शन एवं वर प्राप्ति, ध्रुव का यक्षों के साथ युद्ध, मनजी दाग समझाने पर युद्ध-विराम कुबेरजी द्वारा ध्रुव को वरदान एवं ध्रुवजी का परमधाम गमन ।

राजा अङ्ग का चरित्र, वेन की कथा, श्रीपृथुजी महाराज का आविर्भाव, पृथुजी द्वारा पृथ्वी का दोहन एवं शत-अश्वमेध यज्ञ करना, पृथुजी को भगवान् विष्णु का दर्शन एवं वरप्राप्ति ।

पृथुजी को सनकादि का उपदेश , राजा प्राचीनबर्हि का चरित्र, नारदजी द्वारा पुरञ्जनोपाख्यान का प्रवचन, पुरञ्जनोपाख्यान का तात्पर्य, प्रचेताओं को नारदजी का उपदेश।

पंचम स्कन्ध (स्थान) 
प्रियव्रत-चरित्र, भगवान् ऋषभदेवजी की कथा, महाराज भरत का चरित्र, जडभरत-रहूगण की भेंट एवं संवाद, रहूगण के सभी प्रश्नों का श्रीभरतजी के द्वार निवारण विभिन्न वर्षों व द्वीपों का वर्णन, भारतभूमि की महिमा, श्रीशुकदेवजी द्वारा नरकों का वर्णन।

षष्ठ स्कन्ध (पोषण) 
अजामिलोपाख्यान का प्रारम्भ, विष्णुदतों द्वारा भागवतधर्म का निरूपण, अजामिल का परमधामगमन, यम-यमदूतों का संवाद, श्रीनारदजी के उपदेश से दक्षपुत्रों की विरक्ति, नारदजी को दक्ष का शाप, देवताओं द्वारा विश्वरूप को देवगुरूपद पर अभिषिक्त करना । 
नारायणकवच का उपदेश, वृत्रासुर-इन्द्र युद्ध।

सप्तम स्कन्ध (ऊर्ति) 
नारद-युधिष्ठिर संवाद, हिरण्यकशिपु की तपस्या एवं वरप्राप्ति, प्रह्लादजी का चरित्र एवं उनके द्वारा दैत्य-बालकों को उपदेश। 

हिरण्यकशिपु द्वारा प्रह्लादजी को प्रताड़ित करना, नृसिंहभगवान् का प्रादुर्भाव, हिरण्यकशिपु का उद्धार, देवताओं एवं प्रह्लादजी द्वारा श्रीनृसिंहभगवान् की स्तुति, श्रीनारदजी द्वारा युधिष्ठिरजी को वर्णाश्रमधर्म का उपदेश।

अष्टम स्कन्ध (मन्वन्तर) 
मन्वन्तरों का वर्णन, ग्राह के द्वारा गजेन्द्र का पकड़ा जाना, गजेन्द्र के द्वारा श्रीभगवान् की स्तुति और उसका संकटमुक्त होना, गज और ग्राह का पूर्वचरित्र तथा उनका उद्धार ,दुर्वासाजी द्वारा इन्द्र को शाप, देवताओं का श्रीहीन होना, देवताओं का भगवान् के पास जाना, समुद्रमन्थन का वर्णन, मोहिनी भगवान् का अवतार देवासुर-संग्राम, बलि की स्वर्ग पर विजय, वामनावतार एवं मत्स्यावतार की कथा।

नवम स्कन्ध (ईशानु) 
वैवस्वत मनु के पुत्रों का चरित्र, च्यवन एवं सुकन्या का चरित्र, नाभाग-अम्बरीष-सगर-भगीरथ-आदि अन्य सूर्यवंशियों का चरित्र, गंगावतरण की कथा, चन्द्रवंश का वर्णन।

दशम स्कन्ध (निरोध) 
वसुदेव-देवकी का चरित्र, देवताओं द्वारा गर्भस्तुति श्रीभगवान् का प्रादुर्भाव, देवकी-वसुदेव के द्वारा भगवान् की स्तुति वसुदेवजी द्वारा भगवान् को व्रज में छोड़कर आना । 

गोकुल में श्रीभगवान् का जन्ममहोत्सव, नन्द-वसुदेव की भेंट, पूतना उद्धार, शकटभञ्जन, तृणावर्त उद्धार, श्रीभगवान् का नामकरण ।

श्रीभगवान् की बालक्रीडाएँ, ऊखल-बन्धन लीला, यमलार्जुन-उद्धार ।

श्रीभगवान् का गोकुल से श्रीवृन्दावन पधारना, वत्स-बक-अघासुर-उद्धार ,श्रीभगवान् द्वारा ब्रह्माजी का मोहभंग, ब्रह्माजी द्वारा भगवान् की स्तुति, धेनुकासुर का उद्धार, कालिय-मर्दन-लीला, श्रीभगवान् द्वारा दावाग्निपान, वर्षा व शरदऋतु का वर्णन, वेणुगीत, चीरहरण ।

श्रीभगवान् द्वारा इन्द्रयज्ञ-निवारण, गोवर्धन-धारण-लीला, नन्दबाबा से गोपों की श्रीकृष्ण के प्रभाव के विषय में चर्चा, इन्द्र व कामधेनु द्वारा श्रीकृष्ण का 'गोविन्द' पद पर अभिषेक, श्रीभगवान् द्वारा वरुणलोक से नन्दबाबा को छुड़ाकर लाना। 

श्रीशुकदेवजी द्वारा रासलीला का वर्णन, श्रीकृष्ण के विरह में गोपियों की दशा, गोपीगीत, श्रीभगवान् द्वारा प्रकट होकर गोपियों को सान्तवना देना, महारास का वर्णन, सुदर्शन-शंखचूड का उद्धार, युगलगीत। 

अरिष्टासुर-उद्धार, केशी का उद्धार, श्रीअक्रूरजी की व्रजयात्रा, श्रीकृष्ण-बलराम का मथुरागमन, कुब्जाप्रसंग, धनुषभंग ।

 श्रीभगवान् का अखाड़े में प्रवेश, चाणूर-मुष्टिक-कंस, आदि का उद्धार।

श्रीकृष्ण-बलराम का यज्ञोपवीत एवं गुरुकुल-प्रवेश, उद्धवजी की व्रजयात्रा, उद्धव-गोपी संवाद, भ्रमरगीत, उद्धवजी का मथुरा लौटना, भगवान् का कुब्जा व अक्रूरजी के घर जाना ,जरासन्ध से युद्ध, द्वारकापुरी का निर्माण, कालयवन-उद्धार ।

श्रीकृष्ण के पास रुक्मिणीजी का सन्देश लेकर ब्राह्मण का आना, रुक्मिणी-हरण, प्रद्युम्न का जन्म, शम्बरासुर-वध, स्यमन्तकमणि-कथा, भगवान के अन्यान्य विवाह, भौमासुर-वध, श्रीकृष्ण-रुक्मिणी संवाद ।

अनिरुद्ध के विवाह में रुक्मी का मारा जाना, ऊषा-अनिरुद्ध मिलन, श्रीकृष्ण-बाणासुर संग्राम, राजा नृग की कथा, श्रीबलरामजी की व्रजयात्रा, पौण्ड्रक-काशिराज-द्विविद, आदि का उद्धार, कौरवों पर दाऊजी का कोप तथा साम्ब का विवाह, देवर्षि नारदजी द्वारा भगवान् की नित्यचर्या देखना। 

श्रीकृष्ण के पास जरासंध के कैदी राजाओं का दूत आना, भगवान् का इन्द्रप्रस्थ पधारना, पाण्डवों द्वारा राजसूययज्ञ का आयोजन, जरासन्ध-उद्धार, जरासन्ध के बन्दी राजाओं द्वारा भगवान् की स्तुति, भगवान की अग्रपूजा. शिशुपाल-उद्धार, सुदामा-चरित्र। 

कुरुक्षेत्र में भगवान् की गोप-गोपियों से भेंट , वसुदेवजी का यज्ञोत्सव, श्रीभगवान् द्वारा देवकीजी के छ: पुत्रों को लौटा लाना, सुभद्राहरण, भगवान् द्वारा जनक और श्रुतदेव ब्राह्मण के घर एक-साथ जाना ।

वेदस्तुति, शिवजी का संकटमोचन, भृगुजी द्वारा त्रिदेवों की परीक्षा, भगवान् द्वारा मरे हुए ब्राह्मण-बालकों को वापस लाना।

एकादश स्कन्ध (मुक्ति) 
यदुवंश को ऋषियों का शाप, नारदजी द्वारा वसुदेवजी को नवयोगेश्वर संवाद सुनाना, देवताओं द्वारा श्रीभगवान् से स्वधाम पधारने हेतु प्रार्थना श्रीभगवान् द्वारा उद्धवजी को अवधूतोपाख्यान का उपदेश, एकादशस्कन्ध के बहुविध विषयों का प्रतिपादन।

द्वादश स्कन्ध (आश्रय)
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