ब्रह्मबन्धुर्न हन्तव्य /brahmabandhurn hantavy
ब्रह्मबन्धुर्न हन्तव्य आततायी वधार्हण: |
मयैवोभयमाम्नातं परिपाह्यनुशासनम् ||
अर्जुन अधम ब्राम्हण को भी नहीं मारना चाहिए और आतताई को छोड़ना नहीं चाहिए यह दोनों बातें मैंने ही शास्त्रों में कहीं है तुम मेरी इन दोनों आज्ञाओं का पालन करो | ब्रह्मबन्धुर्न हन्तव्य /brahmabandhurn hantavya
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