दैवज्ञं तु समाहूय - Daivajñaṁ tu samāhūya
दैवज्ञं तु समाहूय मुहूर्तं प्रच्छपयत्नतः |
विवाहे यादृशं वित्तं तादृशं परिकल्पयेत ||
जिन्हें कथा करानी है वे सर्वप्रथम किसी ज्योतिषी से उत्तम मुहूर्त पूंछे और जैसे विवाह में प्रसन्नतापूर्वक धन खर्च करते हैं उसी प्रकार कथा में बिना कंजूसी के धन खर्च करें |दैवज्ञं तु समाहूय - Daivajñaṁ tu samāhūya
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